रांची : नौ जुलाई को अरगोड़ा के पटेल नगर में रहनेवाली छात्रा प्रेरणा गोराई ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. बताया जाता है कि ग्यारहवीं का रिजल्ट खराब होने की वजह से उसने यह कदम उठाया. चंद दिनों पूर्व सीआइटी टाटीसिलवे के एक छात्र ने अपने संस्थान की छत से छलांग लगा दी. प्रेम प्रसंग में असफल रहने की वजह से उसने यह कदम उठाया.
पिठोरिया के सिमलबेड़ा गांव में 10 जून को किसान कलेश्वर महतो ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. उसने पत्नी के नाम से किसान क्रेडिट कार्ड पर 40 हजार रुपये का लोन लिया था. लोन की राशि बढ़ कर 61 हजार हो गयी थी. लोन नहीं चुका पाने की वजह से कलेश्वर परेशान था.
15 जून को पिठोरिया के ही सुतियांबे निवासी किसान बालदेव महतो ने आत्महत्या कर ली. वह भी लोन नहीं चुका पाने की वजह से तनाव में था. अोरमांझी में बीते दिनों एक किसान राजदीप ने आत्महत्या कर ली. बताया जाता है कि कर्ज न चुका पाने की वजह से वह भी तनाव में था. वहीं कुछ दिनों पहले पढ़ाई के लिए डांट पड़ने पर एक किशोरी भी आत्महत्या कर चुकी है. उक्त घटनाएं यह दिखती है कि लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ रही है. रांची अौर आसपास के क्षेत्रों से आत्महत्या की घटनाओं में इजाफा हो रहा है, जो समाज के लिए चिंता का सबब है.
15 से 30 वर्ष के आयु वर्ग वाले लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति अधिक
डॉ पवन वर्णवाल के मुताबिक, 15 से 30 आयु वर्ग के लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति सबसे ज्यादा है. पहले 30 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों में आत्महत्या के मामले ज्यादा होते थे. आत्महत्या का मुख्य कारण धैर्य की कमी है. मनोचिकित्सकों के पास ऐसे लोग बड़ी संख्या में आ रहे हैं, जो डिप्रेशन नहीं झेल पाने की वजह से आत्महत्या करने की सोचते हैं. डिप्रेशन जब काफी बढ़ जाता है, तो मस्तिष्क में सिरोटोनीन नामक रसायनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है. यह एक तरह का न्यूरोट्रांसमीटर होता है, जिसके डिसबैलेंस होने से व्यक्ति आत्महत्या करना चाहता है. डॉ वर्णवाल ने बताया कि अगर व्यक्ति की दिनचर्या पर गौर किया जाये, तो यह पता किया जा सकता है कि वह डिप्रेशन की स्थिति में है या नहीं. ऐसे में थोड़ी सतर्कता बरती जाये, तो आत्महत्या की घटनाअों पर अंकुश लगाया जा सकता है.
क्या कहते हैं न्यूरोसाइकेट्रिक
न्यूरोसाइकेट्रिक डॉ पवन वर्णवाल ने बताया कि उनके क्लिनिक में प्रतिदिन अौसतन चार ऐसे मरीज आते हैं, जो या तो आत्महत्या का प्रयास कर चुके होते हैं या फिर जिनके मन में बार-बार आत्महत्या का ख्याल आता है. उन्होंने बताया कि 24 वर्षीय एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने चार बार आत्महत्या का प्रयास किया. उसे एक लड़की से प्यार हो गया था अौर वह उससे शादी करना चाहता था, जबकि लड़की ने उसके प्रपोजल को ठुकरा दिया था. धनबाद के एक बिजनेसमैन (उम्र 54 साल) ने भी आत्महत्या का प्रयास किया. उसने नींद की 30 गोलियां खा ली थीं. उसे बिजनेस में 10 लाख से ज्यादा का घाटा हुआ था. इस वजह से आत्महत्या करना चाहता था.
ये हैं लक्षण
उदास रहना, बात नहीं करना, अकेले में रहना, नींद कम आना, खाने में कम रुचि, चिड़चिड़ापन, काम के स्तर में गिरावट आदि डिप्रेशन के लक्षण हैं. अगर किसी व्यक्ति में ऐसे लक्षण दिखे, तो सावधान हो जाना चाहिए. मरीज के साथ संवेदनशीलता अौर सहानुभूति से पेश आयें. जरूरत पड़े, तो मनोचिकित्सक से दिखायें.