तब अधिकारियों ने तर्क दिया था कि मानसून सीजन 10 जून से लेकर 15 सितंबर तक होता है. रोक की अवधि में ही बालू खनन के लिए जिन नौ लीज धारकों को अनुमति दे दी गयी थी. वे नदी से नहीं बल्कि पूर्व में रखे गये बालू का उठाव किया था. हालांकि, एनजीटी इनके तर्क को नहीं माना और इन्हें 13 जुलाई को उन नौ लीज धारकों पर कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट मांगी है. यानी 13 जुलाई को एक्शन टेकेन रिपोर्ट मांगी गयी है.
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कार्रवाई: बारिश में बालू उठाने की अनुमति दी थी, एनजीटी ने तीन जिलों के डीसी को किया तलब
रांची: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) कोलकाता ने मो. रिजवान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद देवघर, दुमका व पाकुड़ के उपायुक्तों व जिला खनन पदाधिकारियों (डीएमओ) को दोबारा हाजिर होने का निर्देश दिया है. संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है. इसके लिए 13 जुलाई को तीनों जिलों के […]
रांची: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) कोलकाता ने मो. रिजवान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद देवघर, दुमका व पाकुड़ के उपायुक्तों व जिला खनन पदाधिकारियों (डीएमओ) को दोबारा हाजिर होने का निर्देश दिया है. संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है. इसके लिए 13 जुलाई को तीनों जिलों के डीसी और डीएमओ को सशरीर उपस्थित होकर एक्शन टेकेन रिपोर्ट मांगी गयी है.
क्या है मामला
गौरतलब है कि मानसून सीजन के दौरान एनजीटी ने नदियों से बालू के उठाव पर रोक लगा रखी है. इसके बावजूद इन तीनों जिलों के बालूघाटों से वर्ष 2016 के मानसून सीजन में बालू उठाया गया. इस मामले को लेकर मो. रिजवान ने एनजीटी में याचिका दायर कर कार्रवाई की अपील की थी. इसके बाद एनजीटी ने पहले 25 मई को तीनों जिलों के उपायुक्तों व डीएमओ को बुलाया.
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