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गवाही नहीं दे रहे जांच पदाधिकारी कोर्ट को जारी करना पड़ रहा वारंट

मामलों के निष्पादन में हो रहा है अनावश्यक विलंब साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिये जा रहे हैं अभियुक्त रांची : जांच पदाधिकारियों के गवाही नहीं देने की वजह से कई मामले न्यायालयों में लंबित पड़े हैं. गवाही नहीं होने की वजह से मामलों के निष्पादन में अनावश्यक विलंब हो रहा है अौर अभियुक्तों […]

मामलों के निष्पादन में हो रहा है अनावश्यक विलंब
साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिये जा रहे हैं अभियुक्त
रांची : जांच पदाधिकारियों के गवाही नहीं देने की वजह से कई मामले न्यायालयों में लंबित पड़े हैं. गवाही नहीं होने की वजह से मामलों के निष्पादन में अनावश्यक विलंब हो रहा है अौर अभियुक्तों को इसका अनुचित लाभ मिल रहा है. इससे न्याय प्रक्रिया भी बाधित होती है. हालत यह है कि कई मामलों में अदालतों को अब जांच पदाधिकारियों के खिलाफ वारंट जारी करना पड़ रहा है.
इन मामलों में जारी किया गया वारंट : डोरंडा थाना कांड संख्या 81/14 मामले के जांच पदाधिकारी के खिलाफ चार मार्च को अदालत से गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया. यह अपहरण से संबंधित मामला था, जिसमें सम्मन के बाद भी जांच पदाधिकारी गवाही देने नहीं आये. जगन्नाथपुर थाना के तत्कालीन दारोगा योगेंद्र शुक्ला के खिलाफ फरवरी में अदालत से गैर जमानती वारंट जारी किया गया था.
वह दुष्कर्म से संबंधित मामले में जांच पदाधिकारी हैं. गवाही के लिए कई बार कहने के बाद भी वह गवाही देने नहीं पहुंचे थे. एससी/एसटी थाना कांड संख्या 51/10 के तत्कालीन जांच पदाधिकारी एके सिंह के खिलाफ भी अदालत को वारंट जारी करना पड़ा, क्योंकि जांच पदाधिकारी गवाही देने नहीं आ रहे. इससे मामले की सुनवाई प्रभावित हो रही है.
रिश्वत मामले से संबंधित एक मामले में जांच पदाधिकारी केडी उरांव के नहीं आने से मामले के अभियुक्त को लाभ मिला अौर अदालत ने साक्ष्य के अभाव में उसे रिहा कर दिया. इस तरह के मामले में लगातार वृद्धि हो रही है.

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