रांची: कोयला मजदूर यूनियनों ने सचिव स्तर से नीचे के अधिकारियों से वार्ता करने से इनकार कर दिया है. यूनियनों ने कहा है कि सरकार मजदूरों की भावना के साथ खिलवाड़ करना चाहती है. वार्ता के नाम पर केवल टाइम पास करना चाहती है. ऐसी किसी भी वार्ता में केंद्रीय यूनियनों (इंटक, एटक, बीएमएस, एचएमएस […]
रांची: कोयला मजदूर यूनियनों ने सचिव स्तर से नीचे के अधिकारियों से वार्ता करने से इनकार कर दिया है. यूनियनों ने कहा है कि सरकार मजदूरों की भावना के साथ खिलवाड़ करना चाहती है. वार्ता के नाम पर केवल टाइम पास करना चाहती है. ऐसी किसी भी वार्ता में केंद्रीय यूनियनों (इंटक, एटक, बीएमएस, एचएमएस और सीटू) के सदस्य नहीं जायेंगे.
मंगलवार को दरभंगा हाउस स्थित बीएमएम कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में एटक के रमेंद्र कुमार, बीएमएस के पीके दत्ता, सीटू के डीडी रामानंदन ने कहा कि 14 जून को अपर सचिव के स्तर से बुलायी गयी वार्ता में यूनियन के सदस्य शामिल नहीं होंगे. अपर सचिव को कोई निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. नौ मई को पांच यूनियनों ने नोटिस दिया था. वार्ता में केवल चार यूनियनों को बुलाया गया है. वार्ता का मुद्दा भी केवल सीएमपीएफ का इपीएफ में विलय बताया गया है.
यूनियन हड़ताल नोटिस में दिये गये सभी सात मुद्दों पर बात करना चाहती है. वार्ता भी पांचों यूनियनों से होगी. नेताओं ने कहा कि सरकार 19 से 21 जून तक प्रस्तावित हड़ताल को गंभीरता से नहीं ले रही है. हड़ताल बेमिसाल होगी. इसको अधिकारियों के संघ का भी नैतिक समर्थन मिला है.
हठ कर रही है सरकार
यूनियन नेताओं ने कहा कि सरकार एक ओर सीएमपीएफ के इपीएफ में विलय के मुद्दे पर बात करना चाहती है. दूसरी ओर सीएमपीएफ कमिश्नर श्री पंडा को हटा दिया गया है. श्री पंडा कर्मियों के लिए काम कर रहे थे. उनके स्थान पर वैसे अधिकारी को पदस्थापित किया जा रहा, जिस पर पूर्व में कई गड़बड़ी के आरोप हैं. असल में इन अधिकारियों को केंद्र सरकार अपने इशारे पर नचाना चाह रही है.
नहीं जाने के निर्णय का स्वागत
एचएमएस के राजेश कुमार सिंह ने कहा कि सभी यूनियन एकजुट हैं. इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए. सभी ने मिल कर बुलायी गयी बैठक में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय लिया है. यूनियन हड़ताल की तैयारी में जुटी है. इसे सफल बनाया जायेगा.
जबरदस्त विरोध होगा : मुखर्जी
द झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन ने कहा कि कोयला कामगारों के वेतन समझौते में हो रही देरी और सीएमपीएफ के इपीएफ में विलय का जोरदार विरोध होगा. यूनियन के महासचिव सनत मुखर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार के अड़ियल रवैये का मार किसान और मजदूर झेल रहे हैं. केंद्र सरकार की नजर मजदूरों के पैसे पर है, इस कारण सीएमपीएफ का विलय करना चाह रही है. ईमानदार अधिकारी को हटा कर सरकार अपना एजेंडा लागू करना चाह रही है.