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स्वच्छता को अपने अंदर उतारें

रामगढ़ : छावनी परिषद के तत्वावधान में एक दिसंबर से 15 दिसंबर तक स्वच्छता पखवारा का आयोजन किया जा रहा है. गुरुवार को स्वच्छता पखवारा का शुभारंभ किया गया. मौके पर परिषद की ओर से सुभाष चौक के निकट माता विघ्न हरेश्वरी मंदिर समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत परिषद के अध्यक्ष ब्रिगेडियर […]

रामगढ़ : छावनी परिषद के तत्वावधान में एक दिसंबर से 15 दिसंबर तक स्वच्छता पखवारा का आयोजन किया जा रहा है. गुरुवार को स्वच्छता पखवारा का शुभारंभ किया गया. मौके पर परिषद की ओर से सुभाष चौक के निकट माता विघ्न हरेश्वरी मंदिर समारोह का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम की शुरुआत परिषद के अध्यक्ष ब्रिगेडियर केबीके केशव, सीइओ सपन कुमार व वार्ड सदस्यों ने दीप जला कर किया. ब्रिगेडियर केबीके केशव ने कहा कि स्वच्छता को हम अपने अंदर उतार लें तथा इसे अपनी आदत में शुमार करें. उन्होंने कहा कि साफ-सफाई का सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य से है. साथ ही उन्होंने अपने संबोधन में रामगढ़ क्षेत्र में बढ़े प्रदूषण पर चिंता जतायी. उन्होंने कहा कि शहर मे ध्वनि प्रदूषण भी काफी अधिक है. प्रशासनिक अधिकारियों से मिल कर इस दिशा में कार्रवाई की जायेगी. मौके पर सीइओ सपन कुमार ने सफाई अभियान में छात्र-छात्राओं को विशेष भूमिका निभाने की अपील की.
उन्होंने बच्चों से गंदगी फैलानेवालों को देखते ही स्वच्छ रामगढ़ सुंदर रामगढ़ का नारा लगाने की अपील की. समारोह को परिषद के उपध्यक्ष संजीत सिंह उर्फ छोटू सिंह ने भी संबोधित किया. मौके पर बच्चों ने स्वच्छता से संबंधित लघु नाटिका का मंचन किया. कार्यक्रम का संचालन कार्यालय अधीक्षक दीपक सिन्हा ने किया. समारोह में वार्ड सदस्य बेबी प्रसाद, रेणु सिंह, अनमोल सिंह, पुरनी देवी, कैलाश मुंडा उर्फ चंदन मुंडा, प्रभु करमाली, रामगढ़ चेंबर अध्यक्ष सह स्वच्छता दूत राजू चतुर्वेदी, एसएन राव, शंकर प्रसाद, सत्येंद्र सिंह, पवन कुमार गौतम, केएन तिवारी, नितिन ठाकुर, संजय कुमार, ओमप्रकाश चौहान, अनुजा आइंद, अनिल पासवान, लालजी महतो, सविता कुमारी, राजीव सिंह, परमेश्वर प्रसाद समेत अनेक लोग मौजूद थे.
स्वच्छता जागरूकता रैली निकाली गयी : छावनी परिषद द्वारा आयोजित स्वच्छता पखवारा के उदघाटन समारोह से पूर्व स्वच्छता जागरूकता रैली निकाली गयी. जागरूकता रैली छावनी परिषद कार्यालय से सुभाष चौक स्थित माता विघ्न हरेश्वरी मंदिर तक निकाली गयी. जागरूकता रैली में ब्रिगेडियर केबीके केशव, सीइओ सपन कुमार, वार्ड सदस्य, अन्य लोग व परिषद संचालित विद्यालयों के छात्र-छात्रा शामिल थे. रैली में शामिल छात्र-छात्रा व लोग स्वच्छ रामगढ़ सुंदर रामगढ़ का नारा लगाते हुए समारोह स्थल तक पहुंचे थे.
जब शीश कटे तलवारों से तकदीर बदलती कौमों की…
शहीद किसी भी कौम का बहुमूल्य सरमायाहोते हैं. ऊंचे आदर्शों व मूल्यों की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान कर देना ही शहादत है. शहीद उसे कहते हैं जो उच्च आदर्शों की सत्यता को अपनी जान–न्योछावर कर प्रमाणित करता है.
शारीरिक मौत उसके उच्च आदर्शों को कभी समाप्त नहीं कर सकती , बल्कि वह उसे अमरत्व प्रदान करने के साथ–साथ भविष्य में आने वाली पीढ़ियों में नवजीवन का संचार भी करती हैं। ‘‘ जहां गिरता खून शहीदों की तसवीर बदलती कौमों की!! जब शीश कटे तलवारों से तकदीर बदलती कौमों की !!‘‘ कोई देगों में जो उबले जब, शांति के सोमें बह पड़ते, जब चर्बी जले शहीदों की, आशा के दीये जल पड़ते।।‘‘ शहीदों के खून से मुर्दा कौमों के जीवन में भी क्रांतिकारी बदलाव हो जाते हैं जिस प्रकार खून का दौरा शरीर को जिंदा रखने में सहायक होता है, उसी तरह उच्च आदर्शों के लिए बहा खून भी कौमों को जिंदा रखने में सहायक होता है और कौमों को इंकलाबी मोड़ देने में भी समर्थ होता है. इतिहासकारों के अनुसार गुरु तेग बहादुर जी की शहदत ना केवल मानवता के इतिहास में एक दिशा व दशा के बदलाव का कारण बनी, ऐसी घटना का उदाहरण मानवता अथवा धर्मों के पूरे इतिहास में मिलना कठिन है, जब किसी धर्म की आजादी एवं अस्तित्व पर आये संकट को रोकने हेतु किसी महान शख्सियत ने अपना बलिदान दिया हो. इस महान बलिदान की बदौलत ही आपको – ‘‘ हिन्द दी चादर‘‘ जैसे विषेशण से विभूषित किया जाता है। यह घटना मजलूमों को संत–सिपाही बनने को प्रेरित करने वाली महान घटना भी साबित हुई.
कालांतर में यही घटना ‘‘खालसा‘‘ रूपी अनोखी फौज की स्थापना का आधार बनी और गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा निर्मित खालसा रूपी आदर्श फौज को भी शहीद होने को हमेशा तैयार व तत्पर रहने की घुट्टी पिलाते हुए गुरु जी ने अपनी फौज में आनेवालों से कहा कि ‘‘ जौ तौ प्रेम खेलन का चाओ, सिर धर तली गली मोरी आओ। और साथ ही कहा ‘‘ इत मारग पैर धरीजे, सिर दीजे कांण ना कीजे। ‘‘ और इतिहास गवाह है कि गुरु तेग बहादुर जी द्वारा कायम की हुई शहादत की इस ऊंची परंपरा को खालसा रूपी फौज ने युद्धों में या तो विजय पताका फहरा कर या शहादत का जाम पीकर उस परंपरा को आगे बढ़ाया. कहते है जब कोई महान आत्मा धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान देकर प्राणों का उत्सर्ग करती है ईश्वर भी प्रसन्न होता है .‘‘ तेग बहादुर के चलत भयौ जगत में सोक , है है है सब जग भयौ, जै जै जै सुरलोक।‘‘

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