बरका-सयाल क्षेत्र
उरीमारी. सीसीएल बरका-सयाल क्षेत्र में सहायक सिविल अभियंताओं की कमी से कार्य प्रभावित हो रहा है. प्रक्षेत्र के सात यूनिटों को संभालने के लिए मात्र दो सहायक सिविल अभियंता हैं.
इसमें से भी एक सीनियर ओवरसियर के पद पर हैं. दोनों अभियंताओं के जिम्मे प्रक्षेत्र का उरीमारी, बिरसा, सयाल, भुरकुंडा, सौंदा डी, जीएम यूनिट, रिजनल स्टोर व सेंट्रल सौंदा समेत वाटर वर्क्स पतरातू के सिविल कार्यों से संबंधित कामकाज को निबटाने की जिम्मेवारी है. इसके अलावा न्यू बिरसा परियोजना के विस्थापितों के लिए पुनर्वास स्थल के कार्यों को भी देखना है. ऐसी स्थिति में प्रक्षेत्र के सिविल कार्यों पर प्रतिकूल असर देखा जा रहा है. पूरे प्रक्षेत्र में कुल चार सहायक सिविल अभियंता थे. इनमें से दो का तबादला हो गया है. इनके स्थान पर अभी तक नये सहायक सिविल अभियंता की तैनाती नहीं हुई है. प्रक्षेत्र के एसओ सिविल ने बताया कि बिलिंग से लेकर इस्टीमेट बनाने तक में सहायक अभियंता की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. वर्तमान में दो सहायक अभियंता के मिल जाने से कार्यों में सुधार होगा. सीनियर मैनजर के जिम्मे तीन-तीन यूनिट का काम है.
सयाल परियोजना के सिविल अभियंता को जीएम यूनिट, पतरातू वाटर वर्क्स की अतिरिक्त जिम्मेवारी भी है. भुरकुंडा सिविल अभियंता के जिम्मे भुरकुंडा के अलावे सौंदा डी, रिजनल स्टोर का कार्यभार है. उरीमारी में उरीमारी के अभियंता को बिरसा परियोजना का भी अतिरिक्त भार दिया गया है.
17-18 करोड़ रुपये का होता है काम : पूरे प्रक्षेत्र में वित्तीय वर्ष के दौरान 17-18 करोड़ रुपये का सिविल वर्क होता है. इतनी बड़ी राशि के कार्यों को समय पर पूर्ण कराने के लिए सहायक अभियंताओं की उपलब्धता जरूरी है. चालू वित्तीय वर्ष में प्रक्षेत्र को सिविल वर्क में 16-17 करोड़ रुपये आवंटित है.