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कुंवर सिंह के देश प्रेम से सीख लें
मेदिनीनगर: रविवार को आबादगंज स्थित बीसीसी मिशन स्कूल के प्रशाल में बाबू कुंवर सिंह का 158वां विजयोत्सव मनाया गया. व्यास सिंह द्वारा लिखित मैत्री के फूल पुस्तक का विमोचन हुआ. अतिथियों व अन्य लोगों ने बाबू कुंवर सिंह की तसवीर पर फूल माला अर्पित किया. कार्यक्रम में लोगों ने बढ़ती सांप्रदायिकता, संकीर्णता व उसके निराकरण […]
मेदिनीनगर: रविवार को आबादगंज स्थित बीसीसी मिशन स्कूल के प्रशाल में बाबू कुंवर सिंह का 158वां विजयोत्सव मनाया गया. व्यास सिंह द्वारा लिखित मैत्री के फूल पुस्तक का विमोचन हुआ. अतिथियों व अन्य लोगों ने बाबू कुंवर सिंह की तसवीर पर फूल माला अर्पित किया.
कार्यक्रम में लोगों ने बढ़ती सांप्रदायिकता, संकीर्णता व उसके निराकरण विषय पर प्रकाश डाला. राज्य के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने कहा कि बाबू कुंवर सिंह के देश प्रेम से सीख लेने की जरूरत है. वे सभी जातियों को संगठित कर स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई लड़ी. वे अपनी वीरता के बल पर अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये. उनके आदर्श जीवन व राष्ट्र प्रेम की भावना से सीख लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में सभी वर्ग के लोगों का योगदान रहा है. हिंदू, मुसलिम, सिख, ईसाई की एकजुटता के कारण ही देश आजाद हुआ.
लेकिन कुछ ऐसे संगठन है, जो एक धर्म का प्रदर्शन कर उसे सत्ता हासिल करने का साधन बना रहे हैं. जो देश हित के लिए उचित नहीं है. जीएलए कॉलेज के हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ कुमार वीरेंद्र ने कहा कि बाबू कुंवर सिंह को इसलिए याद किया जाना चाहिए कि वे बड़े लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे थे. अंग्रेजी हुकूमत के शोषण व दमनकारी नीति के खिलाफ वे बगावत किये. 13 अगस्त 1857 ई. से वे नौ माह तक अंग्रेजों के खिलाफ लोगों को संगठित कर लड़ाई लड़ते रहें. देश के इतिहासकारों का कहना है कि वे दिल्ली पर चढ़ाई करने के संकल्प को लेकर अपने 4000 सैनिकों के साथ लौंग मार्च शुरू किया था.
आरा, सासाराम, रोहतास होते हुए वे कानपुर पहुंचे, जहां अन्य विद्रोहियों को संगठित किया. उस समय उनके पास 18 हजार देश भक्त व सैनिक मौजूद थे. उनके पराक्रम व अदम्य साहस को देख कर लखनऊ की बेगम ने 10 हजार रुपये, दो तोप व शाही पोशाक उपहार में दिया था. बाबू कुंवर सिंह आजमगढ़ को डेढ़ माह तक अपने कब्जे में रखा और अंग्रेजों का डट कर मुकाबला किया. बाद में वे अपने जगदीशपुर लौटे और अंग्रेजों के कब्जे से मुक्त कराया. अमजनों से उनका इतना जुड़ाव रहा है कि आज भी मगध व भोजपुर इलाके में उनकी वीरता के गीत गाये जाते है.
उन्होंने सब को संगठित होकर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करने के लिए प्रेरित किया. कार्यक्रम में नगर पर्षद के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र प्रसाद सिंह, अंगराज मोहन, मौलाना एजाज अहमद, केडी सिंह, अख्तर जमा, बीएनएस लॉ कॉलेज के सचिव आनंद प्रताप सिंह, फादर धौती, मंगल सिंह, व्यास सिंह आदि ने कहा कि बाबू कुंवर सिंह के अंदर सामाजिक सौहार्द, राष्ट्र भक्ति व धर्म निर्पेक्षता की भावना भरी हुई थी. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहें अनिल कुमार सिंह ने कहा कि सब की एकजुटता से ही देश का विकास होगा. हरिवंश प्रभात ने गीत प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन अश्फाक अहमद एवं धन्यवाद ज्ञापन उमाशंकर सिंह ने किया. कार्यक्रम में काफी संख्या में लोग मौजूद थे.
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