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चिकित्सा व्यवस्था चरमरायी

– रामनरेश तिवारी/यतीश – पाटन में सिर्फ एक एएनएम प्रखंड के दिपौवा स्वास्थ्य उप केंद्र का भवन बदहाल है. एएनएम अपने आवास पर ही लोगों का इलाज करती है जरूरत पड़ने पर प्रसव कराने घर भी जाती हैं पाटन : सबको स्वास्थ्य सुविधा मिले, इसके लिए सरकार की कई योजना है. उपेक्षित इलाकों में भी […]

– रामनरेश तिवारी/यतीश –

पाटन में सिर्फ एक एएनएम

प्रखंड के दिपौवा स्वास्थ्य उप केंद्र का भवन बदहाल है. एएनएम अपने आवास पर ही लोगों का इलाज करती है जरूरत पड़ने पर प्रसव कराने घर भी जाती हैं

पाटन : सबको स्वास्थ्य सुविधा मिले, इसके लिए सरकार की कई योजना है. उपेक्षित इलाकों में भी स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा हो, इसकी योजना बनायी गयी. पर यह धरातल पर कितना उतर पा रहा है. यह एक सुलगता सवाल है.पाटन के दिपौवा स्वास्थ्य उपकेंद्र का हाल देखने के बाद ऐसा लगता है कि मानो ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना प्राथमिकता सूची में नहीं. कुछ ऐसा ही हाल नौडीहा प्रखंड का है, जहां पिछले कई वर्ष से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है.

ऐसे में लोगों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ कैसे मिलेगा, यह एक बड़ा सवाल है. दिपौवा पाटन का उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र है. प्रखंड मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह गांव. यहां स्वास्थ्य केंद्र भवन का निर्माण करीब 25 वर्ष पहले हुआ था. अभी जो भवन है, वह बदहाल है. एक एएनएम है सुशीला लकड़ा. वह अपने आवास में ही किसी तरह लोगों का इलाज करती हैं. क्योंकि इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है. इस इलाके में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिले, इसके लिए प्रसव केंद्र भी खोला गया था, जो सुविधा के अभाव में बंद हो गया.

एएनएम सुशीला लकड़ा का कहना है कि जरूरत के अनुसार वह लोगों के घर जाकर ही प्रसव कराती हैं. दिपौवा स्वास्थ्य उपकेंद्र पर लगभग 25 गांव के लोग निर्भर है. पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण वे लोग झोला छाप डाक्टर की शरण में जाते हैं. भवन का निर्माण हो, इसके लिए कई बार मांग उठायी गयी, पर नतीजा शून्य रहा.

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