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सिर्फ 34 मिमी बरसा मॉनसून

मेदिनीनगर : लगातार तीन साल से सुखाड़ झेल रहे पलामू में इस साल भी मॉनसून के पहले महीने में सामान्य से कम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, अब तक की जो स्थिति है, उसे कृषि के दृष्टिकोण से उपयुक्त नहीं माना जा सकता. मॉनसून के पूर्वानुमान के अनुसार […]

मेदिनीनगर : लगातार तीन साल से सुखाड़ झेल रहे पलामू में इस साल भी मॉनसून के पहले महीने में सामान्य से कम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, अब तक की जो स्थिति है, उसे कृषि के दृष्टिकोण से उपयुक्त नहीं माना जा सकता. मॉनसून के पूर्वानुमान के अनुसार बारिश नहीं होना चिंता को बढ़ाता है. हालांकि, अभी वक्त है. एक-दो सप्ताह के अंदर यदि पर्याप्त बारिश हो जाये, तो स्थिति बदल सकती है. कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि मॉनसून का जो पूर्वानुमान है, वह बताता है कि इस बार अच्छी बारिश होगी. हालांकि, शुरुआती दौर की बारिश अच्छी नहीं हुई, लेकिन इससे निराश होने की जरूरत नहीं है.
34 मिमी बारिश हुई है अब तक
जून महीने का औसत वर्षापात 152 मिमी है. इस बार 26 जून तक 34 मिमी बारिश हुई है. यह जून के सामान्य वर्षापात से 118 मिमी कम है. पिछले साल भी जून में बारिश की कमोबेश यही स्थिति थी.
क्या करें किसान
चियांकी कृषि अनुसंधान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डाॅ डीएन सिंह कहते हैं कि किसान निराश होकर न बैठें. इस बार स्थिति उतनी खराब नहीं होगी. किसानों को चाहिए कि वह अरहर, उड़द, मकई, सोयाबीन, मूंगफली की खेती करें. जिन लोगों के पास सिंचाई के पर्याप्त साधन हैं, वे पटवन कर धान का बिचड़ा भी लगा सकते हैं.
जिले में 47 हजार हेक्टेयर में होती है धान की खेती
पलामू की मुख्य फसल धान है. यहां 47 हजार हेक्टेयर में धान की खेती होती है. 20 हजार हेक्टेयर में मकई, 49 हजार हेक्टेयर में दलहन की खेती होती है. लगातार तीन साल से कम बारिश के कारण खेती नहीं के बराबर हो रही है. मॉनसून के शुरुआत में बारिश की स्थिति देख कर किसान खेतों में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे.

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