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अपने बल पर बनायी पहचान

मेदिनीनगर : परिस्थिति चाहे जितनी भी प्रतिकूल क्यों न हो, यदि मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो, तो स्थिति अनुकूल हो ही जाती है. इस भाव को लेकर काम करनेवाले लोग समाज में एक अलग पहचान बनाते हैं. उनके मन में संतोष का भाव भी होता है कि मेहनत की और मुकाम मिला. […]

मेदिनीनगर : परिस्थिति चाहे जितनी भी प्रतिकूल क्यों न हो, यदि मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो, तो स्थिति अनुकूल हो ही जाती है. इस भाव को लेकर काम करनेवाले लोग समाज में एक अलग पहचान बनाते हैं. उनके मन में संतोष का भाव भी होता है कि मेहनत की और मुकाम मिला. आज वैसे ही लोगों की ही चर्चा, जिन्होंने विपरित परिस्थितियों में धैर्य के साथ मेहनत कर मुकाम हासिल की, वैसे लोग आज न सिर्फ अपने परिवार बल्कि समाज के लिए भी उदाहरण बने हैं.
गांव में रह कर ट्यूशन से की शुरुआत आज शहर में बना ली पहचान
अनुज सिंह मेदिनीनगर में एक जाना-पहचाना नाम है. अनुज गांव में घर-घर जाकर ट्यूशन पढ़ाते थे. बचपन में ही पिता की मौत हो चुकी थी, घर की माली हालत ठीक नहीं थी, इसलिए क्लास आठवीं से ही ट्यूशन की शुरुआत कर दी. अनुज पड़वा प्रखंड के कजरी गांव के रहनेवाले हैं.
जब मैट्रिक परीक्षा पास की, तो पाटन मोड़ पर स्थित एक निजी विद्यालय में बतौर शिक्षक काम करने लगे. इस दौरान अंग्रेजी के प्रति अनुज के मन में ललक थी, लगता था कि अंग्रेजी बोलना सीखें, चूंकि पढ़ाई हिंदी मीडियम के स्कूल से हुई थी, इसलिए अंगरेजी पर पकड़ कम थी. लेकिन मन में इच्छा थी कि अंगरेजी जानें. इसलिए आठवीं कक्षा से ही अंगरेजी पर ध्यान देना शुरू किया. गांव में ही बोलचाल के भाषा में जब वह अंगरेजी का प्रयोग करता था, तो इसे लेकर अनुज के दोस्त खिल्ली भी उड़ाते थे, लेकिन इसके बाद भी अनुज ने हार नहीं मानी. पुस्तकें पढ़-पढ़ कर अंगरेजी को मजबूत किया.
आज स्थिति यह है कि अनुज मेदिनीनगर में स्पोकेन इंग्लिश की क्लास चलाते हैं. इस सेंटर में न सिर्फ विद्यार्थी आते हैं, बल्कि नौकरी पेशा के साथ-साथ गृहिणी भी अंगरेजी सीखने आती हैं. शिक्षक के साथ-साथ एक बेहतर एंकर के रूप में भी अनुज की पहचान है. अनुज की मानें तो वह अभी तक 200 से अधिक कार्यक्रम में बतौर एंकर भाग ले चुका है.
अनुज का कहना है कि उसका सपना पलामू में एक बेहतर विद्यालय की स्थापना करना है, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को शिक्षा दी जाये. उनका कहना है कि सफलता के लिए धैर्य जरूरी है, युवाओं को विपरीत परिस्थितियों में धैर्य नहीं खोना चाहिए, ईमानदारी से मेहनत करना चाहिए. ईमानदार मेहनत कभी बेकार नहीं जाती.

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