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समुदाय के सहयोग से ही मिलेगी कुपोषण से मुक्ति : ज्यां द्रेज

समुदाय के सहयोग से ही मिलेगी कुपोषण से मुक्ति : ज्यां द्रेजचार राज्यों में काम कर रही महिलाएं बतायेंगी अपना अनुभवकुपोषण पर आम की दो दिवसीय सभा आज से नामकुम के बागीचा मेंवरीय संवाददाता, रांचीदेश के जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा कि देश में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. समुदाय के सहयोग से ही […]

समुदाय के सहयोग से ही मिलेगी कुपोषण से मुक्ति : ज्यां द्रेजचार राज्यों में काम कर रही महिलाएं बतायेंगी अपना अनुभवकुपोषण पर आम की दो दिवसीय सभा आज से नामकुम के बागीचा मेंवरीय संवाददाता, रांचीदेश के जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा कि देश में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. समुदाय के सहयोग से ही कुपोषण से मुक्ति दिलायी जा सकती है. टाटा ट्रस्ट के सहयोग से कई स्वयंसेवी संस्थाएं ग्रामीण इलाकों में इस विषय को लेकर काम कर रही हैं. तीन साल से कम उम्र के बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए इन संस्थाओं की ओर से झारखंड, बिहार, ओड़िसा और छत्तीसगढ़ में अलग-अलग नामों से 160 सेंटर चलाये जा रहे हैं. इसका साकारात्मक असर भी देखने को मिल रहा है. कुपोषण से मुक्ति दिलाने में इस प्रकार के सेंटर सरकार के लिए मॉडल बन सकते हैं. ज्यां द्रेज बुधवार को राजधानी में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने बताया कि एक्शन अंगेस्ट मालन्यूट्रिशन (आम) की ओर से कुुपोषण विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है. कार्यशाला पांच और छह नवंबर को नामकुम एटीएस बागीचा में आयोजित होगी. इसमें कुपोषण पर काम करनेवाली चार राज्यों से आयी 300 से अधिक महिलाएं अपना अनुभव बतायेंगी. राइट टू फूड को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त कमिश्नर सह राज्य समन्वयक बलराम ने कहा कि सरकार को इस प्रकार के कार्यक्रम को मॉडल बना कर इसमें ज्यादा से ज्यादा निवेश कराना चाहिए. बच्चों के कुपोषण मुक्त होने से स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं पर होनेवाले खर्च को कम किया जा सकता है. एकजुट के प्रशांत त्रिपाठी ने बताया कि बच्चे देश के भविष्य हैं. ऐसे में इस पर खास ध्यान देने की जरूरत है. पब्लिक हेल्थ रिसोर्स सेंटर की डॉ वंदना प्रसाद ने कहा कि कुपोषण सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों की उपज है. यह रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है. इस समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए विशेषज्ञ की जरूरत नहीं है. सिन्नी के रंजन पांडा ने बताया कि अगर सरकार इस मॉडल को लागू करती है,तो इसके दूरगामी और सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे. हलधर महतो ने कहा कि कुपोषण समाप्त करने के लिए सरकार को समुदाय आधारित नीति बनानी चाहिए. मौके पर शक्तिधर पांडेय समेत कई लोग उपस्थित थे.

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