मुखिया घर में चलता है पंचायत सचिवालयशाहपुर दक्षिणी पंचायतफोटो-14डालपीएच-1प्रतिनिधि, चैनपुर(पलामू). पंचायत चुनाव की घोषणा हो चुकी है. पिछले बार 32 वर्ष के बाद पंचायत चुनाव हुआ था. कहा यह गया था कि पंचायत चुनाव नहीं होने के कारण गांवों का अपेक्षित विकास नहीं हो पा रहा है, जब पंचायत चुनाव होंगे, तो गांव में अपनी सरकार होगी. विकास की गति तेज होगी, क्या पांच वर्ष में ऐसा कुछ हो पाया, क्या गांव में अपेक्षित बदलाव हुए या सबकुछ उसी तरह चला, जैसे पंचायत चुनाव के पूर्व. विकास की गाड़ी दौड़ी या रुकी, स्वच्छता अभियान का कितना सहभागी पंचायत बन सका. इन्हीं पहलुओं को लेकर प्रभात खबर ने पंचायत वॉच शुरू किया है, जिसमें विकास से लेकर स्वच्छता अभियान तक की पड़ताल की गयी है. आमलोग क्या सोचते हैं, इसकी भी राय ली गयी है. आज प्रस्तुत है,चैनपुर प्रखंड के शाहपुर दक्षिणी पंचायत की रिपोर्ट -नहीं बना पंचायत सचिवालयशाहपुर दक्षिणी पंचायत में प्रमंडलीय मुख्यालय से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. शहर से करीब रहने के बाद भी समस्याओं से यह पंचायत जूझ रहा है. पाइपलाइन पंचायत से होकर गुजरा है, लेकिन यहां के लोग पानी की समस्या झेल रहे हैं. अपेक्षित विकास भी नहीं हुआ. नया पंचायत सचिवालय बना, लेकिन नियमित रूप से काम नहीं होता. लोगों की शिकायत है कि सचिवालय में पंचायत सचिव नहीं आते, ठीक तरीके से काम भी नहीं शुरू हुआ. पांच साल गुजर गये. पंचायत सचिवालय को सुसज्जित करने के लिए जो सामग्री उपलब्ध कराया गया था, उसका भी अपेक्षित इस्तेमाल नहीं हुआ. अघोषित रूप से मुखिया के घर में ही पंचायत सचिवालय चलता रहा. खुले शौच से मुक्त नहीं हुआ पंचायत स्वच्छता अभियान का हाल शाहपुर दक्षिणी पंचायत में बुरा है. इस अभियान के तहत पंचायत में लगभग 50 शौचालय का निर्माण हुआ है, लेकिन शौचालय का हाल कुछ ही दिन के बाद बदहाल हो गया. लोगों की यह शिकायत है कि शौचालय निर्माण के लिए जिन घरों का चयन किया गया, वह संपन्न थे. जो गरीब थे, उन पर ध्यान नहीं दिया गया. आज भी इस पंचायत में रहने वाले 50 प्रतिशत लोग खुले में शौच करने को विवश हैं. पंचायत खुले शौच से मुक्त नहीं हुआ. लेकिन यहां जो अभियान की स्थिति है, उससे यह सवाल उठना स्वभाविक है, जब प्रमंडलीय मुख्यालय के नजदीक पंचायत का हाल यह है तो सुदूरवर्ती इलाकों का हाल समझा जा सकता है.60 प्रतिशत है साक्षरता दरशाहपुर दक्षिणी पंचायत का साक्षरता दर 60 प्रतिशत है. आंकड़े बताते हैं कि हाल के दिनों में 200-300 लोगों को साक्षर बनाया गया है. शहर से सटे रहने के कारण लोगों में शिक्षा के प्रति रुचि है, लेकिन शिक्षा के विकास के लिए पंचायत को जो करना चाहिए था, वह पंचायत ने नहीं किया.जिम्मेवारी निभायी : श्रीकांतक्या कहते हैं मुखिया फोटो-श्रीकांत कुमारशाहपुर दक्षिणी पंचायत के मुखिया श्रीकांत कुमार का कहना है कि जनता ने जो जिम्मेवारी दी, उसका ईमानदारी के साथ निर्वहन किया है. सरकार ने जो अधिकार दिया, उसके अनुरूप कार्य किया है. जो भी फंड आया, उसको पूरी पारदर्शिता के साथ खर्च किया है. पंचायत की अपनी सीमा है, उसकी परिधि में रह कर पंचायत का विकास किया यह सही है कि जनता की अपेक्षा अधिक थी और कार्य कम हुआ है. लेकिन इसके लिए वह जिम्मेवार नहीं है. क्योंकि सरकार ने पंचायत को अधिकार ही नहीं दिया, तो मुखिया क्या करे. पलायन कर गये प्रतिद्वंद्वीफोटो- सुदेश्वर चौधरीपिछले चुनाव में शाहपुर दक्षिणी पंचायत से पिछले चुनाव में नंबर दो पर रहे सुदेश्वर चौधरी का कहना है कि मुखिया ने जनभावना के विपरीत कार्य किया है. आज यदि मुखिया यह कह रहे हैं कि अपेक्षित अधिकार नहीं मिला, उन्हें यह बताना चाहिए जो अधिकार मिला है, उसका कितना उपयोग किया. स्थिति यह है कि इस पंचायत में मुख्यमंत्री ग्राम सडक योजना के तहत भी सडक नहीं बनी है. विकास के प्रति मुखिया पूरी तरह से उदासीन रहे, यही कारण है कि शाहपुर दक्षिणी पंचायत विकास के मामले में पिछड़ गया.क्या कहते हैं लोगफोटो-गोपाल चौधरीकल्याणपुर गांव के गोपाल चौधरी का कहना है कि पंचायत चुनाव के बाद अपेक्षित कार्य नहीं हुआ. जनता ठगा महसूस कर रही है.फोटो-विजय चंद्रवंशीसेमरटांड के विजय चंद्रवंशी मुखिया के उदासीन रवैया के कारण शाहपुर दक्षिणी पंचायत विकास के मामले में 10 साल पीछे चला गया.फोटो-राजकुमार रामसेमरटांड के राजकुमार राम का कहना है कि पंचायत को सुसज्जित करने के लिए जो समान मिले थे, वह कहां है, कुछ पता नहीं. कितना फंड आया, क्या हुआ, इसके बारे में मुखिया ने कभी चर्चा ही नहीं की. जो दूसरे फंड से कार्य हो रहे थे, उसमें भी मुखिया ने गतिरोध पैदा किया.आरक्षण की स्थिति2009 में शाहपुर दक्षिणी पंचायत में मुखिया का पद सामान्य था. इस बार पिछड़ी महिला के लिए आरक्षित है.फैक्टशीटपंचायत का नाम®शाहपुर दक्षिणी आबादी®5786आंगनबाड़ी®5विद्यालय®प्रावि एक, मवि एक,निजी विद्यालय चार प्रज्ञा केंद्र है, लेकिन पंचायत के बाहर चलता है. पंचायत सचिवालय है, पर नियमित चलता नहींजनवितरण प्रणाली की दुकान-चारबैंक-एसबीआइ व ग्रामीण बैंकपंचायत की परिधि में आने वाले गांव-कल्याणपुर, शाहपुरजल संकट से जूझना नियति बनीचुनावी मुद्दाशाहपुर दक्षिणी पंचायत कोयल किनारे बसा है. लेकिन पंचायत में जलस्तर काफी नीचे है. ग्रामीण जलापूर्ति योजना का संचालन का जिम्मेवारी ग्राम पंचायत को ही है. लेकिन लोगों की यह शिकायत है कि इस कार्य पर मुखिया द्वारा कभी भी अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया. स्थिति यह है कि इस पंचायत के लोगों को जलापूर्ति का अपेक्षित लाभ नहीं मिला. सालों भर पानी की समस्या से जूझना इस इलाके के लोगों को नियति बन गयी है. समस्या दूर हो, इसके लिए पंचायत ने पहल नहीं की तो लोगों मे आक्रोश बढ़ा. इस बार के पंचायत चुनाव में पानी का मुद्दा ही अहम है. लोगों का कहना है कि शहर से सटे, इसलिए अन्य सुविधा तो किसी तरह मिल जा रहा है. इसमें पंचायत प्रतिनिधि पहल करें या न करें. लेकिन पानी ही एक ऐसी समस्या है, जो सुलझ नहीं रहा है. इसलिए इस बार के चुनाव में पानी का ही मुदा मुख्य मुद्दा है. वैसे शाहपुर दक्षिणी पंचायत पूर्व में कई नकारात्मक मामलों को लेकर भी चर्चा में रहा है. इस पंचायत के अंतर्गत आने वाला कल्याणपुर गांव अवैध शराब चुलाई के लिए चर्चा में रहता था. लेकिन हाल के दिनों में इस गांव में भी बदलाव हुआ है. लोग जागरूक हुए हैं, राजनीति समझ बढ़ी है. विकास में वह अपनी भागीदारी निभा रहे हैं. कुल मिलाकर देखा जाये तो इस बार के चुनाव में पानी का मुद्दा ही प्रमुख होगा.
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