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दूसरे राज्य में बाघ का जाना झारखंड के लिए दुर्भाग्यजनक : कोर्ट

दूसरे राज्य में बाघ का जाना झारखंड के लिए दुर्भाग्यजनक : कोर्टसरकार ने कहा : नक्सलियों व पुलिस की गोली से डर कर आठ बाघ छत्तीसगढ़ चले गयेकेंद्र सरकार को वन भूमि के हस्तांतरण संबंधी नीति पेश करने का निर्देशमामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बद होगीमामला राज्य में वन भूमि व बाघ के कम […]

दूसरे राज्य में बाघ का जाना झारखंड के लिए दुर्भाग्यजनक : कोर्टसरकार ने कहा : नक्सलियों व पुलिस की गोली से डर कर आठ बाघ छत्तीसगढ़ चले गयेकेंद्र सरकार को वन भूमि के हस्तांतरण संबंधी नीति पेश करने का निर्देशमामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बद होगीमामला राज्य में वन भूमि व बाघ के कम होने कारांची : झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को राज्य में वन भूमि व बाघ के कम होने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के जवाब पर कहा कि दूसरे राज्य में बाघ का चले जाना राज्य के लिए दुर्भाग्यजनक है. 12 में से आठ बाघ कैसे छत्तीसगढ़ चले गये. चाहे नक्सलियों या पुलिस की गोली से अथवा किसी अन्य कारण से आठ बाघों का छत्तीसगढ़ चले जाने से नुकसान पहुंचा है. टाइगर प्रॉपर्टी के मामले में झारखंड लूजर हो गया है. बाघ के लिए बेतला टाइगर प्रोजेक्ट प्रसिद्ध है. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ में हुई. खंडपीठ ने जानना चाहा कि राज्य में कितनी वन भूमि इंडस्ट्रीज की स्थापना के लिए हस्तांतरित की गयी है. इस का संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया. केंद्र सरकार व राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि झारखंड में रिकार्डेड फॉरेस्ट एरिया 23605 वर्ग किमी है, जबकि वन अच्छादित क्षेत्र (फॉरेस्ट कवर्ड) में 496 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है. खंडपीठ ने केंद्र सरकार को वन भूिम के हस्तांतरण से संबंधित नीति प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार ने शपथ पत्र दायर कर खंडपीठ को बताया कि वर्ष 2006 से 2010 के बीच राज्य में 12 बाघ थे. अब चार रह गये है. नक्सलियों व पुलिस की गोली से डर कर आठ बाघ छत्तीसगढ़ चले गये है. झारखंड व छत्तीसगढ़ के जंगल जुड़े हुए है. बाघ आते-जाते रहते है. फॉरेस्ट एरिया में बढ़ोतरी हुई है. वन भूमि का हस्तांतरण तभी होता है, जब दोगुनी जमीन व उस पर पौधारोपण की राशि क्षतिपूरक के रूप में दी जाती है. यह केंद्र सरकार की अनुमति के बाद संभव होता है. प्रार्थी विकास महतो ने जनहित याचिका दायर की है.

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