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नगर पर्षद ने निकाला टैंकर के लिए टेंडर
मेदिनीनगर : शहर में नगर पर्षद द्वारा प्रत्येक वर्ष गरमी में टैंकर से जलापूर्ति की जाती थी. लेकिन इस वर्ष अभी तक टैंकर से जलापूर्ति शुरू नहीं हुई. जबकि शहर के कई इलाकों में गंभीर पेयजल संकट है. आबादगंज के लोग पानी के लिए भटक रहे हैं. कचहरी परिसर से वे लोग रात में पानी […]
मेदिनीनगर : शहर में नगर पर्षद द्वारा प्रत्येक वर्ष गरमी में टैंकर से जलापूर्ति की जाती थी. लेकिन इस वर्ष अभी तक टैंकर से जलापूर्ति शुरू नहीं हुई. जबकि शहर के कई इलाकों में गंभीर पेयजल संकट है. आबादगंज के लोग पानी के लिए भटक रहे हैं. कचहरी परिसर से वे लोग रात में पानी ले जा रहे हैं.
जब नगर पर्षद द्वारा टैंकर से जलापूर्ति की जाती थी तो लोगों को राहत मिलती थी. लेकिन इस बार प्रक्रिया पेंच में फंसी है. नगर पर्षद के पास टैंकर है, फिर भी नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी अरुण कुमार भारती ने इसके लिए निविदा आमंत्रित की है. जिसमें यह कहा गया है कि इच्छुक टैंकर वाले इसमें भाग ले सकते हैं. इसकी आखिरी तिथि 14 अप्रैल है.
इसके लिए अग्रधन राशि 5000 रुपये रखी गयी है. साथ ही यह प्रावधान भी किया गया है कि टैंकर से जलापूर्ति करने वालों को प्रति ट्रिप 450 रुपये दिये जायेंगे. भुगतान राशि उपलब्ध रहने पर किया जायेगा. एक सप्ताह पहले वार्ड पार्षद धीरज राज प्रसाद, कविता पांडेय, कविता देवी, कमर यास्मीन, बेबी खातून, मुन्ना राइन ने कहा था यदि जलापूर्ति शुरू नहीं हुई, तो उग्र आंदोलन होगा. लेकिन जो प्रक्रिया नगर पर्षद ने अपनायी है, उससे यह लगता है कि 15-20 अप्रैल के बीच ही टैंकर से जलापूर्ति शुरू हो पायेगी.
दिसंबर से ही शुरू हुआ है जल संकट: मार्च-अप्रैल ही नहीं, बल्कि दिसंबर माह से ही शहर के वार्ड नंबर 16,17 व 18 में जल संकट शुरू हो गया था. क्योंकि यह इलाका आबादगंज में आता है, जो ड्राइजोन के रूप में चिति है और इन इलाकों में रहने वालों को शहरी जलापूर्ति योजना का आंशिक लाभ मिलता है. इसलिए इन वार्ड के लोगों ने नगर पर्षद अध्यक्ष से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा था. साथ ही टैंकर से जलापूर्ति की मांग की थी, जिस पर 14 दिसंबर 2014 को ही नगर पर्षद अध्यक्ष पूनम सिंह ने कार्यपालक पदाधिकारी को जलापूर्ति का निर्देश दिया था.
लेकिन इस आदेश के आलोक में कार्य नहीं हुआ स्थिति यह है कि 14 दिसंबर को दिये गये आदेश पर तो कोई कार्य नहीं हुआ, लेकिन 14 अप्रैल तक टेंडर में भाग लेने की तिथि निर्धारित की गयी. यानी अध्यक्ष के आदेश के तीन माह के बाद कार्रवाई शुरू हुई, वह भी टेंडर के माध्यम से. इससे यह साफ हो रहा है कि लोगों को पेयजल संकट से मुक्ति दिलाने की दिशा में नगर पर्षद कितना गंभीर है.
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