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माघ में ही गहराया जल संकट
गांव का अधिकतर चापानल व कुएं में पानी नहीं निमिया गांव की आबादी लगभग एक हजार है सुदना मुख्य पथ पर सुबह से ही चापानल पर पुरूष महिलाओं की लाइन लग जाती है मेदिनीनगर : मेदिनीनगर शहर मुख्यालय से मात्र चार किलोमीटर एनएच मुख्य पथ से सटे निमिया गांव व आसपास के इलाके में जलस्तर […]
गांव का अधिकतर चापानल व कुएं में पानी नहीं
निमिया गांव की आबादी लगभग एक हजार है
सुदना मुख्य पथ पर सुबह से ही चापानल पर पुरूष महिलाओं की लाइन लग जाती है
मेदिनीनगर : मेदिनीनगर शहर मुख्यालय से मात्र चार किलोमीटर एनएच मुख्य पथ से सटे निमिया गांव व आसपास के इलाके में जलस्तर नीचे चले जाने से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. गांव का अधिकतर चापानल व कुएं सूख गये हैं.
समय पर पीने के पानी के लिए उचित प्रबंध नहीं किया गया,तो इस इलाका में कुछ दिनों में हाहाकर मच जायेगा. पेयजल की स्थिति काफी खराब हो चुकी है. सप्लाई पानी की सुविधा भी नहीं है.
इस गांव से कोयल नदी के गुजरने के बावजूद इस इलाका में जलस्तर नीचे चला गया है. नवंबर माह से परेशानी शुरू हो गयी है. ग्रामीणों के अनुसार बारिश नहीं होने के कारण यह स्थिति हो गयी है. बारिश होने के बाद अप्रैल माह के बाद से जल संकट होता था. निमिया गांव की आबादी लगभग एक हजार है.
इस इलाका के लोग दो किलोमीटर दूरी तय कर सुदना मुख्य पथ औद्योगिक क्षेत्र में स्थित चापानल से पीने का पानी लाते है. सुबह से यहां दोनों चापानलों में महिला व पुरुष की भीड़ पानी भरने के लिए लगी रहती है. चापानल से पानी भरने को लेकर आपस में कई बार झगड़ा भी हो जाता है. यहां से लोग साइकिल, बाइक से पानी ढोकर ले जाते हैं.
निमिया स्थित बैंक कॉलोनी का यही हाल है. लोगों को इस बात की चिंता सता रही है कि ठंड के दिनों में जब पेयजल संकट हो गया, तो गरमी आना बाकी है. जब यह भी चापानल जबाव दे देगा, तो पानी कहां से लोग पीयेंगे. निमिया गांव के महेंद्र प्रसाद का कहना है कि जिन लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत है, वैसे लोग टैंकर से पानी मांगा लेते है.
अधिकतर लोग को जीविका चला पाने में परेशानी होती है, तो पीने का पानी कहां से खरीदेंगे. ग्रामीणों का कहना है कि स्नान करने व कपड़ा धोने के लिए कोयल नदी सहारा बना हुआ है. इस इलाका में यह पहली बार जलसंकट नहीं है. यह इलाका ड्राईजोन बनने की स्थिति हो गयी है. ग्रामीणों का कहना है कि केएन त्रिपाठी जब मंत्री थे, तो लोगों ने गांव में उनके साथ बैठक कर स्थिति से अवगत कराया गया था, लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई.
अधिकारियों को भी आवेदन दिया गया. लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. ग्रामीणों का कहना है कि पलामू डीसी से आखिरी उम्मीद है. अगर समस्या के प्रति गंभीरता दिखायी, तो लोगों को जीने के लिए पानी मिल सकता है, नहीं तो स्थिति बदतर हो जायेगी.
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