मेदिनीनगर: गुरुवार को नीलांबर-पीतांबर विश्व विद्यालय के सृजन व परिवेश व्याख्यानमाला के तहत दक्षिण एशिया में सूफीवाद विषय पर व्याख्यान हुआ. इसमें मुख्य वक्ता के रूप में कोलकाता विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ अमित डे ने भाग लिया. इसकी अध्यक्षता नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एसएन सिंह व संचालन जीएलए कॉलेज के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राजेंद्र सिंह ने की. व्याख्यानमाला में डॉ अमित डे ने कहा कि सूफीवाद का केंद्रीय तत्व प्रेम है.
सूफी संतों ने इश्क़ मज़ाजी के माध्यम से इश्क हकीकी की कल्पना की सांसारिक प्रेम के माध्यम से अलौकिक प्रेम सूफीवाद को अशरीरी बनाता है. सूफ़ीवाद के प्रमुख सिलसिले चिश्तिया, कादरिया,सुहरावर्दिया, और नक्शबंदिया कि विशेषताओं की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सूफ़ी संतों के सियासत, सुल्तान और धन से संबंधों की भी व्याख्या की. उन्होंने सूफ़ीवाद के प्रसार में प्रमुख कारण भाषा और विविधता को माना. सूफ़ी संत एक से अधिक जबानों की समझ और जानकारी रखते थे. इस कारण तहज़ीब ओर संस्कृति को लेकर उनका दृष्टिकोण सामंजस्यवादी रहा. कुलपति डॉ सिंह ने कहा कि सूफीवाद में स्थानीयता और सार्वभौमिकता दोनों है. आत्मा का परमात्मा से मिलन की बात कहकर सूफ़ी संतो ने मनुष्य जीवन को काफी तवज्जों दिया,शांतिपूर्ण सह अस्तित्व और भाईचारा को बढ़ावा दिया.
सूफी संतों ने अपनी बात आम जनता के बीच कही. इसलिए सूफ़ीवाद से ताल्लुक रखने वाले कवि और शायर आम जनता के शायर माने जाते हैं. वैसे तो सूफ़ीवाद मध्यकाल में उत्कर्ष पर था, लेकिन आजतक उसकी अनुगूंज सुनाई पड़ती है. आज भी अमीर खुसरो,दारा शिकोह, मुल्ला दाऊद, कुतुबन, मंझन,और मलिक मोहम्मद जायशी सम्पूर्ण दक्षिण एशिया में अत्यंत गहराई से जमे हुए हैं.विषय प्रवेश व्याख्यानमाला के संयोजक डॉ कुमार वीरेंद्र ने कराया. डॉ वीरेंद्र ने सूफीवाद के अवधारणा पर विस्तार से प्रकाश डाला. अतिथियों का स्वागत जीएलए कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ जय गोपालधर दुबे ने किया.
धन्यवाद ज्ञापन नीलांबर-पीतांबर विवि के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अखिलानंद पांडेय ने किया. मौके पर डॉ एएस उपाध्याय,डॉ एन के तिवारी,डॉ आनंद शंकर उपाध्याय,डॉ मुकेश सहाय,डॉ महेंद्र राम, डॉ आरके झा,डॉ दिलीप कुमार, डॉ श्रवण कुमार,डॉ मृत्युंजय कुमार ,डॉ विभेष कुमार चौबे,,डॉ मंजू सिंह, डॉ. सुनीता कुमारी,डॉ जसवीर बग्गा,प्रो संजीव कुमार सिंह, प्रो राघवेंद्र कुमार सिंह, डॉ डी के सिंह, प्रो. एस के सिंह,डॉ खुर्शीद आलम ,डॉ सुवर्ण महतो, डॉ एस के मिश्रा, डॉ सुरेश साहू,डॉ गोविंद तिवारी,प्रो सरफुद्दीन शेख, अरुण तिवारी, डॉ इंद्रजीत प्रसाद, विद्या वैभव भारद्वाज, घनश्याम कुमार, धर्मेंद्र रवि अन्य लोग मौजूद थे.