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समय पर नहीं मिला खून, रम्सि में मर गयी रुनिया

समय पर नहीं मिला खून, रिम्स में मर गयी रुनिया – छह माह की गर्भवती थी – गुमला के मुरकुंडा की रहनेवाली थी – परिजन इमरजेंसी से लेबर रूम और ब्लड बैंक का रात भर लगाते रहे चक्कर फोटो–सिटी में है. बेहतर इलाज के लिए लाये थे: पप्पू नायक रुनिया के पति पप्पू नायक ने […]

समय पर नहीं मिला खून, रिम्स में मर गयी रुनिया – छह माह की गर्भवती थी – गुमला के मुरकुंडा की रहनेवाली थी – परिजन इमरजेंसी से लेबर रूम और ब्लड बैंक का रात भर लगाते रहे चक्कर फोटो–सिटी में है. बेहतर इलाज के लिए लाये थे: पप्पू नायक रुनिया के पति पप्पू नायक ने बताया, पत्नी को रिम्स में बेहतर इलाज के लिए लाये थे. एक निजी डॉक्टर से इलाज चल रहा था. घर में ही दवा दी जा रही थी. अगर पता रहता कि यह हो जायेगा,तो पत्नी को कभी रिम्स नहीं लाते. समय पर मिल गया होता खून तो बच जाती जान रुनिया को अगर समय पर खून मिल जाता, तो उसकी जान बच जाती. ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ आरके श्रीवास्तव ने बताया कि स्क्रीनिंग में डेढ़ से दो घंटा का समय लगता है. वहीं पहले से खून दिया जाये, तो उसकी क्रास मैचिंग करने में आधे घंटे का समय लगता है. मांग पत्र आने के आधे घंटे में खून दे दिया गया. कोट महिला के इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गयी. मेडिसिन व स्त्री विभाग के डॉक्टरों ने परामर्श दिया. महिला एनिमिक थी, उसमें खून की काफी कमी थी. खून के लिए ब्लड बैंक में 12 बजे सैंपल भेजा गया. वहां जांच में समय लगता है. जांच के बाद खून दिया गया. प्रबंधन स्तर से और जानकारी ली जा रही है. – डाॅ एसके चौधरी, अधीक्षक रिम्ससंवाददातारांची : समय पर खून नहीं मिलने के कारण गुमला के मुरकुंडा निवासी रुनिया देवी (22) की रिम्स में मौत हो गयी. रुनिया छह माह की गर्भवती थी. वर्तमान में डोरंडा में रहती थी. परिजन बेहतर इलाज के लिए मंगलवार रात 9.40 बजे उसे लेकर राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स पहुंचे थे. इमरजेंसी में मेडिसिन विभाग के डॉ जेके मित्रा के जूनियर डॉक्टरों ने उसका चेकअप किया. इस दौरान जूनियर डॉक्टरों को पता चला कि रुनिया गर्भवती है, तो उसे लेबर रूम भेज दिया. स्त्री विभाग में डॉ अनुभा विद्यार्थी के जूनियर डॉक्टरों ने खून की कमी की बताते हुए उसे दोबारा इमरजेंसी में भेज दिया. परिजनों को कहा गया कि महिला का ब्लड चार ग्राम है. खून चढ़ाना अत्यंत आवश्यक है, इसलिए इमरजेंसी में ही जिस डॉक्टर ने देखा है, उसे इलाज करने के लिए कहीए. आनन-फानन में परिजन उसे लेकर दोबारा इमरजेंसी में पहुंचे. पर वहां खून की बजाय पानी चढ़ाना शुरू कर दिया गया. परिजन रात भर इमरजेंसी से लेबर रूम व लेबर रूम से इमरजेंसी का चक्कर लगाते रहे. इसके बाद रात 12 बजे खून चढ़ाने के लिए सैंपल लिया गया. ब्लड बैंक भेजा गया, लेकिन स्क्रीनिंग करा कर खून देने में दिन के पांच बजे गये. इस दौरान परिजन ब्लड बैंक के बाहर ही खड़े रहे. जैसे खून मिला, परिजन दौड़े-भागे इमरजेंसी पहुंचे. वहां मौजूद डॉक्टरों से खून चढ़ाने का आग्रह कर ही रहे थे कि बुधवार सुबह 5:30 बजे रुनिया की मौत हो गयी.

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