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वन बंधु योजना में गड़बड़ी, संयुक्त सचिव व डीआरडीए निदेशक को डीसी ने किया शो-कॉज

पाकुड़ : डीसी दिलीप कुमार झा ने प्रावधानों के विपरीत स्वयंसेवी संस्थाओं को अग्रिम भुगतान करने को लेकर मंत्रिमंडल सचिवालय रांची में तैनात संयुक्त सचिव लाल चंद डाडेल एवं पाकुड़ के डीआरडीए निदेशक सुनील कुमार सिंह से स्पष्टीकरण पूछा है. डीसी ने पत्र प्राप्ति के तीन दिनों के अंदर जवाब देने को कहा है. जवाब […]

पाकुड़ : डीसी दिलीप कुमार झा ने प्रावधानों के विपरीत स्वयंसेवी संस्थाओं को अग्रिम भुगतान करने को लेकर मंत्रिमंडल सचिवालय रांची में तैनात संयुक्त सचिव लाल चंद डाडेल एवं पाकुड़ के डीआरडीए निदेशक सुनील कुमार सिंह से स्पष्टीकरण पूछा है. डीसी ने पत्र प्राप्ति के तीन दिनों के अंदर जवाब देने को कहा है. जवाब प्राप्त नहीं होने पर अधिकारियों को कानूनी एवं प्रशासनिक कार्यवाही की चेतावनी दी गयी है. बता दें कि वन बंधु कल्याण योजना के तहत वित्त वर्ष 14-15 एवं वित्त वर्ष 15-16 में इन अधिकारियों के द्वारा तीन स्वयंसेवी संस्थाओं को एक करोड़ 12 लाख 48 हजार 905 रुपये का अग्रिम भुगतान कर दिया गया था, जिसका अभी तक समायोजन नहीं हुआ है. डीसी ने इसकी जांच के लिए अनुमंडल पदाधिकारी के नेतृत्व में जांच दल का गठन किया था.

प्रावधान के विपरीत किया गया अग्रिम भुगतान : जांच दल ने अपने प्रतिवेदन में योजना संख्या 5/14-15, 6/15-16 एवं 7/15-16 में अनियमित अग्रिम भुगतान की बात कही है. बता दें कि अधिकारियों ने स्वयंसेवी संस्था रिएक्ट पटना को मशरूम की खेती के लिए 8 लाख 70 हजार, स्वयंसेवी संस्था सोसाइटी फॉर मूवमेंट अवेयरनेस एवं टेक्नोलॉजी लिट्टीपाड़ा को टेलरिंग एवं एंब्रॉयडरी प्रशिक्षण के लिए 98 लाख 98 हजार 905 रुपये तथा स्वयंसेवी संस्था कस्तूरी कल्याण केंद्र ट्रस्ट हिरणपुर को प्रोजेक्ट विलेज में नुक्कड़ नाटक एवं कल्चरल एक्टिविटी के लिए 4 लाख 80 हजार रुपये का अग्रिम भुगतान प्रावधानों के विपरीत कर दिया गया था.
जांच प्रतिवेदन के बाद डीसी ने उस वक्त तैनात अधिकारियों के अलावा तत्कालीन प्रधान सहायक गोपाल मुर्मू एवं नाजिर नूरुल इस्लाम से भी तीन दिनों के अंदर स्पष्टीकरण का जवाब मांगा है. विदित हो कि मंत्रिमंडल सचिवालय में तैनात डाडेल उस अवधि में पाकुड़ में आइटीडीए निदेशक के पद पर तैनात थे. जबकि डीआरडीए निदेशक पाकुड़ सुनील कुमार सिंह वित्त वर्ष 15-16 में आइटीडीए निदेशक के पद पर पदस्थापित थे.
प्रथम चरण में 10 करोड़ रुपये मुहैया कराया गया था लिट्टीपाड़ा प्रखंड को
अादिवासी बहुल प्रखंड के विकास के लिए बनी है यह योजना
वनबंधु योजना योजना का फोकस संबंधित क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाओं के निर्माण, आजीविका संव‌र्द्धन, स्वास्थ्य, शिक्षा व ग्रामीणों में क्षमता निर्माण पर होता है. हालांकि योजना में गड़बड़ी के कारण सही मायने में इसका लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाया.

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