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कम दर पर धान बेचने को मजबूर किसान

अमड़ापाड़ा : झारखंड राज्य गठन के 17 साल बीत जाने के बावजूद क्षेत्र के किसान सरकारी लाभ पाने से वंचित हैं. सरकारी तंत्र की उदासीनता के कारण किसानों को समय पर खाद-बीज नहीं मिल पाता है और ना ही समय पर किसानों को अपने धान की सही कीमत मिलती है. सरकार सरकारी दर पर धान […]

अमड़ापाड़ा : झारखंड राज्य गठन के 17 साल बीत जाने के बावजूद क्षेत्र के किसान सरकारी लाभ पाने से वंचित हैं. सरकारी तंत्र की उदासीनता के कारण किसानों को समय पर खाद-बीज नहीं मिल पाता है और ना ही समय पर किसानों को अपने धान की सही कीमत मिलती है. सरकार सरकारी दर पर धान क्रय करने, खाद-बीज देने की व्यवस्था तो की है पर इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है. नतीजतन चाह कर भी इलाके के किसान अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं कर पाते हैं.

वर्तमान में धान खरीद के लिए एक मात्र लैंपस अलूबेड़ा का पंजीकरण हुआ है पर वह भी अमड़ापाड़ा प्रखंड मुख्यालय स्थित लैंपस भवन में संचालित है. कारण जो भी हो कम दर पर प्रति क्विंटल 1400 रुपये में किसानों को धान बेचना पड़ रहा है. उल्लेखनीय है कि सरकारी दर पर किसानों का धान क्रय करने का वादा तो सरकार करती है, लेकिन सही तरीके से मॉनीटरिंग न हो पाने के कारण किसानों को धान औने-पौने दामों में बेचना पड़ रहा है. अमड़ापाड़ा प्रखंड क्षेत्र में छह लैंपस हैं.

उद्योग विहीन इस इलाके में किसानों का एक मात्र आर्थिक स्रोत खेती है. इसी खेती से साल भर किसान परिवार का गुजारा चलता है. जबकि केंद्र की कमी से किसानों को धान दूसरे के हाथों औने-पौने दाम पर बेचना पड़ता है. मालूम हो कि अमड़ापाडा प्रखंड की लगभग सत्तर हजार की आबादी 10 पंचायत में बसती है. यहां कुल छह लैंपस सरकार ने खोला है. पर ये केंद्र नाम के हैं. इन लैंपस से किसानों को लाभ नहीं मिलता है. लैंपस में धान क्रय प्रारंभ नहीं होने से किसानों को बाजार में थोक विक्रेता से बाहर के व्यवसायियों के हाथों कम कीमत पर धान बेचना पड़ रहा है. करीब 14000 हजार किसान परिवार धान की सरकारी कीमत का लाभ पाने से वंचित हैं. जिला परिषद सदस्य फुलमुनी सोरेन का कहना है कि सरकार बार-बार दावा करती है कि किसानों को लाभ देने के लिए सरकारी दर पर धान की खरीद की जायेगी.

ऐसे में जब लैंपस ही यहां नहीं चल रहा है तो आखिर धान कौन खरीदेगा. उन्होंने प्रशासन से मांग की कि वह सभी लैंपस को सक्रिय कर किसानों को लाभ दे. इस सबंध में उप प्रमुख कविता देवी ने कहा कि धान खरीदने को लेकर विभागीय पहल होना चाहिए. लैंपस के सदस्यों को भी जागरूक होकर काम करने की जरूरत है. मात्र 12 क्विंटल धान की खरीदारी होना विभागीय विफलता है.

कहा कि समय पर लैंपस का संचालन नहीं होने पर किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. क्षेत्र के किसान फिलिप मुर्मू, सुनील किस्कू, बेनाजर टुडू, रामेश्वर मुर्मू, मरकुश किस्कू, जमीन मुर्मू आदि ने मांग की है कि प्रशासन लैंपस के जरिए धान का क्रय शीघ्र शुरू करवाये. इस साल धान का बाजार मूल्य 1300 से 1400 रुपये बताया जाता है. सरकारी दाम 1550 रुपये एवं 150 रुपया बोनस के रूप में देने का प्रावधान है.

क्या कहते हैं किसान

सरकार की घोषणा के बाद भी धान की खरीद नहीं होने से किसान मायूस हैं. इस संबंध में कृषि कार्यालय से अब तक कोई सूचना नहीं मिली है.

-वर्षण हेंब्रम, किसान

बाजार में धान बेचने से किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. उन्होंने प्रशासन से मांग किया कि लैंपस में धान खरीद शुरू की जाये.

-मुनिलाल मरांडी

प्रखंड कर्मियों को धान खरीद के प्रति रुचि नहीं हैं. किसान औने-पौने दाम में बाजार में धान बेचने को मजबूर हैं.

-जगदीश मड़ैया

लैंपस के सदस्यों को जागरूक होकर धान खरीद करना चाहिए और किसानों को उनका हक देना चाहिए. लैंपस में धान खरीदारी नहीं होने से किसानों को कम दर पर धान बेचनी पड़ रही है. िजससे िकसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

-राकेश मिर्धा

अमड़ापाड़ा के लैंपसों से किसानों को नहीं मिल रही कोई लाभ

कहते हैं पदाधिकारी

पेमेंट की अनिश्चितता, ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था व राइस मिल के साथ अब तक एग्रीमेंट न होने के कारण धान अधिप्राप्ति केंद्रों में धान का क्रय नहीं हो रहा है.

– अभय कुमार, प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी

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