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जर्जर भवन में रहते हैं बिरहोर
लोहरदगा : खरकी पंचायत के सेमरडीह में बिरहोर कॉलोनी बना कर 22 बिरहोर परिवारों को रहने की व्यवस्था की गयी थी. सरकार द्वारा 1988 में इन परिवारों के लिए कॉलोनी भी बनायी गयी थी, लेकिन मरम्मत के अभाव में बिरहोर कॉलोनी जर्जर हो गयी है. इसी आवास में बिरहोर परिवार अपने परिवार के साथ रहने […]
लोहरदगा : खरकी पंचायत के सेमरडीह में बिरहोर कॉलोनी बना कर 22 बिरहोर परिवारों को रहने की व्यवस्था की गयी थी. सरकार द्वारा 1988 में इन परिवारों के लिए कॉलोनी भी बनायी गयी थी, लेकिन मरम्मत के अभाव में बिरहोर कॉलोनी जर्जर हो गयी है. इसी आवास में बिरहोर परिवार अपने परिवार के साथ रहने को विवश हैं.
बिरहोर आज भी लकड़ी बेच कर एवं वनोत्पाद के भरोसे रहते हैं.कॉलोनी में रहनेवाले अधिकांश बिरहोर लकड़ी का खटिया बना कर बजारों मे बेच कर अपना गुजारा करते हैं. बिरहोर लोगों की समस्या सुनने कई मंत्री, जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारी पहुंच चुके हैं, लेकिन सुविधाओं का आश्वासन देने के अलावा इनके लिए कुछ नहीं किया गया. बिरहोर परिवार आज भी कुएं का पानी पीने को विवश हैं
कॉलोनी तक पहुंच पथ की भी व्यवस्था नहीं है. पहुंच पथ के लिए नाला पर पुल बनाया जा रहा था, किंतु इसे भी अधूरा छोड़ दिया गया. सेमरडीह में चेक डैम में सिंचाई नाला का निर्माण भी कराया गया था, लेकिन ये सिंचाई सुविधाएं भी बेकार साबित हो रही हैं. चेक डैम का किनारा टूट जाने के कारण चेक डैम में पानी नहीं रहता है. लाखों की लागत से बनाया गया सिंचाई नाला में मिट्टी भर जाने के कारण सिंचाई नाला भी बेकार हो चुका है. बिरहोर कॉलोनी तक आज भी बिजली नहीं पहुंची है. सेमरडीह गांव में मिडिल स्कूल तो बना दिया गया है, लेकिन आर्थिक स्थिति के कारण ये पढ़ नहीं पाते हैं.
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