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क्षेत्र में रोजगार की कमी

निजी बॉक्साइट माइंसों को पर्यावरण स्वीकृति के नाम पर बंद किया जाना क्षेत्र के लोगों के साथ धोखा लोहरदगा : जिले को बॉक्साइट नगरी के नाम से जाना जाता है. बॉक्साइट क्षेत्र के 60 प्रतिशत ग्रामीणों का जीविकोपाजर्न बॉक्साइट माइंस के माध्यम से ही चलता है. किंतु पर्यावरण स्वीकृति के अभाव में संचालित सभी निजी […]

निजी बॉक्साइट माइंसों को पर्यावरण स्वीकृति के नाम पर बंद किया जाना क्षेत्र के लोगों के साथ धोखा

लोहरदगा : जिले को बॉक्साइट नगरी के नाम से जाना जाता है. बॉक्साइट क्षेत्र के 60 प्रतिशत ग्रामीणों का जीविकोपाजर्न बॉक्साइट माइंस के माध्यम से ही चलता है. किंतु पर्यावरण स्वीकृति के अभाव में संचालित सभी निजी बॉक्साइट माइंस 15 जून 2012 से बंद पड़े हैं.

बॉक्साइट माइंस बंद होने से जिले की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है. क्षेत्र के लोग काम के अभाव में पलायन को विवश हैं. साथ ही इस रोजगार से जुड़े लोगों के साथ भी समस्या उत्पन्न हो गयी है.

निजी बॉक्साइट माइंस के बंद रहने को लेकर लोगों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है. भाजपा किसान मोरचा के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह का कहना है कि निजी बॉक्साइट माइंसों को पर्यावरण स्वीकृति के नाम पर बंद किया जाना क्षेत्र के लोगों के साथ धोखा है. पर्यावरण स्वीकृति केंद्र सरकार को देनी है.

किंतु केंद्र सरकार क्षेत्र की जनता की समस्याओं से अनभिज्ञ बना हुआ है. व्यवसायी मनोज जायसवाल का कहना है कि पर्यावरणीय स्वीकृति के नाम पर निजी बॉक्साइट माइंसों के बंद रहने से इस रोजगार में जुड़े लोगों के साथ समस्या उत्पन्न हो गयी है. जिप उपाध्यक्ष मनीर उरांव का कहना है कि निजी बॉक्साइट माइंसों के चालू रहने से क्षेत्र के लोगों को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ता था.

लोग मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार की जीविका आसानी से चला लेते थे. पंकज लाल गुप्ता का कहना है कि निजी बॉक्साइट माइंस के बंद रहने से हर तबके के लोग प्रभावित हुए हैं. लोहरदगा का बाजार बॉक्साइट माइंस चालू रहने तथा ट्रकों के परिचालन से प्रभावित होता है. नेसार अहमद का कहना है कि बॉक्साइट माइंस क्षेत्र के लोग माइंस खुला रहने से विभिन्न प्रकार से रोजीरोटी की व्यवस्था कर लेते थे. लोग अपनेअपने क्षेत्र में छोटेछोटे व्यवसाय तथा मजदूरी कर खुशहाल रहते थे. बॉक्साइट माइंस बंद रहने से लोगों के समक्ष समस्या खड़ी हो गयी है.

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