जिले में श्रद्धापूर्वक मनाया गया अनंत चतुर्दशी का पर्व
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भक्तों ने उपवास रख की भगवान अनंत की पूजा
जिले में श्रद्धापूर्वक मनाया गया अनंत चतुर्दशी का पर्व लोहरदगा : जिले में अनंत चतुर्दशी का पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया गया. श्रद्धालुओं ने उपवास रख कर भगवान अनंत की पूजा अर्चना की. पर्व को लेकर बच्चों में उत्साह देखा गया. आचार्य रामाधार पाठक ने बताया कि अनंत चतुर्दशी का बड़ा महत्व है. सच्चे मन से इस […]
लोहरदगा : जिले में अनंत चतुर्दशी का पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया गया. श्रद्धालुओं ने उपवास रख कर भगवान अनंत की पूजा अर्चना की. पर्व को लेकर बच्चों में उत्साह देखा गया. आचार्य रामाधार पाठक ने बताया कि अनंत चतुर्दशी का बड़ा महत्व है. सच्चे मन से इस पर्व को करने से सुख-शांति व मनवांछित फल मिलता है. इसलिए पर्व को श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाना चाहिए. पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु के प्रसाद स्वरूप अनंत को अपने दाहिने हाथ पर बांधा.
इधर, ग्रामीण इलाकों में भी अनंत चतुर्दशी पर भगवान अनंत की पूजा की गयी. देवालयों में श्रद्धालुओं ने पूजा सामग्री लेकर पहुंचे थे. पूजा के बाद आरती के दौरान श्रद्धालुओं अनंत भगवान की महिमा का गान किया. पंडितों ने अनंत भगवान के कथा वाचन करा कर अनंत डोरी का धारण कराया.
मौके पर श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु के अनंत रूप को चौदह प्रकार के व्यंजनों का भोग लगा कर प्रसाद वितरण किया. रामधार पाठक का कहना है कि इस पर्व की शुरुआत पांडवों ने की थी. विष्णु भगवान के 14 रूपी देवों के नाम की गांठे लगे डोरे का वरण करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है.
पर्व की ऐसी मान्यता है कि यदि किसी को रास्ते में किसी का गिरा हुआ अनंत मिल जाता है, तो वह भी अनंत भगवान की पूजा अर्चना के बाद उसे रक्षा कवच मान कर बांह पर बांध सकता है. महिलाएं इसे बाई हाथ पर बांधती है व पुरुष दाहिने हाथ पर बांधते है. अनंत के तौर पर भगवान विष्णु की पूजा होती है और उनसे रक्षा का वरदान मांगा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इसे बांधने वाले पुरुष की हर प्रकार की विपतियों से रक्षा होती है.
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