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नहीं खुला एक भी सरकारी कॉलेज

दुर्भाग्य. चार अप्रैल को है लातेहार जिला स्थापना की 15वीं वर्षगांठ, आज तक लातेहार : किसी भी जिले के विकास के लिए 15 साल कम नहीं होते हैं. 15 सालों में कम से कम विकास की बुनियाद तो अवश्य ही रखी जा सकती है. लेकिन लातेहार जिला ऐसा जिला है, जहां आज तक सरकारी महाविद्यालय […]

दुर्भाग्य. चार अप्रैल को है लातेहार जिला स्थापना की 15वीं वर्षगांठ, आज तक
लातेहार : किसी भी जिले के विकास के लिए 15 साल कम नहीं होते हैं. 15 सालों में कम से कम विकास की बुनियाद तो अवश्य ही रखी जा सकती है. लेकिन लातेहार जिला ऐसा जिला है, जहां आज तक सरकारी महाविद्यालय की बुनियाद तक नहीं रखी जा सकी है. दीगर बात तो यह है कि इस दौरान तत्कालीन विधायक वैद्यनाथ राम सूबे के शिक्षा मंत्री भी रहे, बावजूद इसके यहां उच्च शिक्षा के लिए कोई कालेज नहीं खोला जा सका.
1924 में बना था अनुमंडल
ब्रिटिश हुकुमत काल में वर्ष 1924 में लातेहार जिला को अनुमंडल का दरजा दिया गया था. इसके बाद झारखंड राज्य अलग होने के बाद वर्ष 2001 में चार अप्रैल को लातेहार जिला अस्तित्व में आया. लेकिन इन 15 वर्षो में लातेहार जिला में एक सरकारी महाविद्यालय की स्थापना नहीं की जा सकी.
रखी गयी थी एक मॉडल कॉलेज की आधारशिला
वर्ष 2012-13 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा एवं शिक्षा मंत्री वैद्यनाथ राम ने जालिम-मोंगर रोड में मॉडल कॉलेज का आनलाइन शिलान्यास किया था. लेकिन भूमि विवाद के कारण तकरीबन छह करोड़ रुपये से बनने वाले इस कालेज की ईंट भी नहीं जोड़ी जा सकी.
एक बार फिर गत वर्ष नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलसचिव अमर सिंह ने निर्माण स्थल पर पूजा अर्चना कर ले आउट कराया और कहा कि भूमि विवाद का निबटारा कर लिया गया है और कॉलेज बनेगा. लेकिन अभी तक निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है. इस कालेज का निमार्ण कार्य 21.63 एकड़ भूमि पर प्रस्तावित है.

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