झुमरीतिलैया. चैत्र नवरात्र और हिंदू नववर्ष की शुरुआत रविवार को जिले में उल्लास के साथ हुई. मंदिरों व घरों में भक्तों ने कलश स्थापना कर मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की. शहर के ताराटांड़ दुर्गा मंडप, देवी मंडप, मां दुर्गा कांप्लेक्स, गायत्री मंदिर, चमत्कारीबाबा मंदिर के अलावा मरकच्चो, जयनगर, डोमचांच, चंदवारा और सतगांवा के ग्रामीण क्षेत्रों में भी श्रद्धालुओं ने कलश स्थापना कर मां की उपासना प्रारंभ की. यह अनुष्ठान अगले आठ दिन तक चलेगा, जिसमें मां भवानी के नौ स्वरूपों की आराधना होगी. नवमी तिथि को हवन और व्रत पारण के साथ नवरात्र का समापन होगा. कलश स्थापना के साथ ही भक्त मां दुर्गा की साधना में लीन हो गये हैं. सुबह होते ही दुर्गा सप्तशती के पाठ से शहर गुंजायमान हो उठा. विभिन्न मंदिरों और मंडपों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. ताराटांड़ दुर्गा मंडप में पंडित बीरमनी पांडेय और गौतम पांडेय ने विधि-विधान से कलश स्थापना करायी.
मां शैलपुत्री की महिमा, सौभाग्य और शक्ति की देवी
पंडित बीरमनी पांडेय के अनुसार, मां शैलपुत्री देवी पार्वती का पहला स्वरूप हैं. उनकी उपासना से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है. मां की कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भक्तों को सौभाग्य, सफलता और आत्मबल प्राप्त होता है. पूजा को लेकर शहर के प्रमुख मंडपों और मंदिरों की सजावट अंतिम चरण में है. जगह-जगह रंगीन विद्युत सज्जा, तोरण द्वार और आकर्षक पंडालों का निर्माण किया गया है. सप्तमी को मां दुर्गा की प्रतिमा के पट्ट खोले जाएंगे और भक्तों के लिए भव्य दर्शन की व्यवस्था की जायेगी.नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
सोमवार को मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी. ज्योतिषी विनिता निशु के अनुसार उनकी आराधना से तप, वैराग्य, सदाचार और संयम की प्राप्ति होती है, वे स्वाधिष्ठान चक्र की देवी मानी जाती हैं. भक्तों को गुड़हल और कमल के पुष्प अर्पित करने चाहिए और चीनी, मिश्री व पंचामृत का भोग लगाना चाहिए. इधर, बाजारों में पूजा सामग्री की खरीदारी जोरों पर है. नवरात्र का यह पावन पर्व भक्तों के जीवन में शक्ति, सकारात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है