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लिपिकों के एक ही विभाग में पदस्थापना पर उठे सवाल
कोडरमा : जिले में स्थापन-पदस्थापन में नियमों को ध्यान नहीं रखा जा रहा है. यही कारण है कि एक जगह पर वर्षों से पदस्थापित लिपिक का तबादला दूसरे विभाग में होता भी है, तो कुछ माह बाद वह वापस उसी विभाग में अपनी नियुक्ति करवा लेता है. इस पूरे मामले पर आरटीआइ कार्यकर्ता अजय कुमार […]
कोडरमा : जिले में स्थापन-पदस्थापन में नियमों को ध्यान नहीं रखा जा रहा है. यही कारण है कि एक जगह पर वर्षों से पदस्थापित लिपिक का तबादला दूसरे विभाग में होता भी है, तो कुछ माह बाद वह वापस उसी विभाग में अपनी नियुक्ति करवा लेता है. इस पूरे मामले पर आरटीआइ कार्यकर्ता अजय कुमार पांडेय ने सवाल उठाते हुए उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा है.
ज्ञापन में उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत स्थापना उप समाहर्ता से मिली जानकारी का हवाला देते हुए कहा है कि जिले के तीन महत्वपूर्ण विभागों में लिपिक की पदस्थापन नियमों को दरकिनार कर होता रहा है. अजय पांडेय ने कहा है कि एक लिपिक है उदय शंकर बक्शी. पहले यह सितंबर 2010 से जून 2014 तक जिला परिवहन कार्यालय में नियुक्त था. इसके बाद इसकी प्रतिनियुक्ति जिला अभिलेखागार में की गयी, पर कुछ दिन बाद ही वापस इसने अपनी नियुक्ति जिला परिवहन कार्यालय में करा ली.
इस तरह लिपिक राकेश रौशन जिला विकास शाखा में फरवरी 2004 से अगस्त 2010 तक प्रतिनियुक्त था. अंचल कार्यालय जयनगर में सितंबर 2010 से फरवरी 2013 तक इसकी प्रतिनियुक्ति रही, पर इसके बाद राकेश रौशन ने अपनी प्रतिनियुक्ति विकास शाखा में करा ली. वही लिपिक शशिकांत मणि की प्रतिनियुक्त जिला आपूर्ति शाखा में फरवरी 2004 से अगस्त 2010 तक थी.
इसे अंचल कार्यालय डोमचांच भेजा गया. यहां वे 27 फरवरी 2013 तक रहे, और फिर अपनी प्रतिनियुक्ति वापस आपूर्ति शाखा में करा ली. अजय पांडेय ने इन तीनों लिपिकों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि इनके क्रियाकलापों की जांच के साथ ही इनकी संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए.
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