जयनगर : मौसम के सूखापन ने किसानों की उम्मीद पर ही पानी फेर दिया है. गत 27 जुलाई से 16 सितंबर तक एक बूंद भी पानी नहीं बरसा है. धान खेतों में दरारें आ गयी हैं.
कहीं धान के पौधे पीले और काले हो गये हैं. फसल की हालात देख कर किसानों की बेहतर फसल की उम्मीद टूटने लगी है. उन्हें अब सुखाड़ की चिंता सताने लगी है. बुजुर्ग किसानों की मानें, तो सितंबर माह में पिछले 10 वर्षों में ऐसी स्थिति कभी नहीं हुई थी, जो इस बार हुई है.
एक तो बारिश का नहीं होना, ऊपर से चिलचिलाती धूप के कारण मक्का, अरहर के साथ साथ सब्जियों की खेती भी प्रभावित हो रही है. किसानों ने बेहतर फसल की उम्मीद पर मंहगी दर पर यूरिया खरीद कर खेतों में डाला. मगर जब धान में बाली फूटने का समय आया, तो खेतों से पानी गायब हो गया.
16 हजार हेक्टेयर भूमि में लगा है धान : जिला कृषि विभाग के मानें, तो जिले में कुल 16 हजार हेक्टेयर जमीन में धान की फसल लगी है. इससे 63 हजार मैट्रिक टन धान उत्पादन की संभावना थी.
जबकि 84 हेक्टेयर जमीन में मक्का लगा है. जिससे 17 हजार मैट्रिक टन मक्का उत्पादन की संभावना थी. वहीं 13 हेक्टेयर भूमि में दलहन की फसल लगी थी. इससे 96 हजार मैट्रिक टन उत्पादन की संभावना थी. मगर बारिश ने इन सभी संभावनाओं को खारिज कर दिया है. जिला कृषि निरीक्षक कृपा नारायण सिंह भी मानते हैं कि अब बारिश का नहीं होना, चिंता का विषय है.
पानी के लिए हरिकीर्तन: विभिन्न ग्रामीण क्षेत्र के किसानों का मानना है कि भगवान इंद्र के रुठ जाने के कारण बारिश नहीं हो रही है और मौसम अपनी बेरूखी दिखा रहा है. हालांकि जगह- जगह पर अष्ट जाम व अखंड हरिकीर्तन कर भगवान इंद्र को मनाने का प्रयास जारी है.
मंगलवार को ग्राम खेडोबर में शुरू हुआ अखंड हरिकीर्तन बुधवार को संपन्न हुआ. कीर्तन में उप मुखिया शिव कुमार यादव, दामोदर यादव, पिंटु यादव,अजय यादव सहित आस पास के ग्रामीणों ने भाग लिया.