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सर्वकामना के लिए प्रसिद्ध है प्राचीन काली मंडा, पूजा करने दूर-दराज से पहुंचते हैं लोग
कोडरमा : जिले में कई मंदिर ऐसे है, जिनका इतिहास वर्षों पुराना है. इसमें से एक है रांची-पटना रोड स्थित अंतरराज्यीय चेक पोस्ट मेघातरी दिबौर में स्थित काली मंडा. यहां सार्वजनिक दुर्गा पूजा का इतिहास काफी प्राचीन है, तो सर्वकामना के सिद्धि के लिए प्रसिद्ध भी है. जानकार लोगों के अनुसार यह मंदिर 131 वर्ष […]
कोडरमा : जिले में कई मंदिर ऐसे है, जिनका इतिहास वर्षों पुराना है. इसमें से एक है रांची-पटना रोड स्थित अंतरराज्यीय चेक पोस्ट मेघातरी दिबौर में स्थित काली मंडा. यहां सार्वजनिक दुर्गा पूजा का इतिहास काफी प्राचीन है, तो सर्वकामना के सिद्धि के लिए प्रसिद्ध भी है. जानकार लोगों के अनुसार यह मंदिर 131 वर्ष पुराना है.
पहले यह मंदिर फूस की छावनी के रूप में था. यहीं नहीं अंग्रेजी शासन के समय से ही मंदिर आस्था का केंद्र था, तो माइका का व्यापार जब अपने चरम पर पहुंचा, तो सीएच कंपनी ने इस मंदिर को अलग रूप देने का प्रयास किया. मंदिर के प्रति आस्था रखनेवाले श्रद्धालुओं, प्रशासनिक पदाधिकारियों व अन्य की मदद से बना. यह मंदिर आज सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है. सप्त ऋषियों की तप स्थली में स्थित इस काली मंडा का नाम मेघातरी के आसपास व दूर-दराज के इलाके में प्रचलित है.
मेघातरी पंचायत से लगभग 25 किलोमीटर दूर तक के लोग यहां पूजा अर्चना करने के लिए आते है. कहा जाता है कि श्रद्धा व विश्वास के साथ यहां मांगी गयी, अवश्य पूरी होती है. दुर्गा पूजा बंगला व क्षेत्रीय पद्धति के तौर पर हर्ष होती है. लगभग तीन दशक से प्रधान पुजारी मिथलेश कुमार सिन्हा पूजा अर्चना कराते आ रहे है, जबकि मंदिर कमेटी पिछले दस वर्षों से संचालित है.
कमेटी के संचालक उदय सिंह, अध्यक्ष अनिल राजवंशी, सचिव संतोष श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष छोटू वर्णवाल, उप सचिव उपेंद्र वर्णवाल है. सचिव संतोष श्रीवास्तव ने बताया कि लोगों की मदद से धीरे-धीरे मंदिर जीर्णोद्वार का कार्य शुरू हुआ था, जो अब पूरा हो चुका है. इस बार यहां आकर्षक पंडाल बनाया गया है. उन्होंने बताया कि दुर्गा पूजा को लेकर पूरे इलाके का माहौल भक्तिमय है.
निकली कलश यात्रा, शामिल हुई जिप अध्यक्ष: दुर्गा पूजा के अवसर पर मंगलवार को मेघातरी में कलश यात्रा निकाली गयी. कलश यात्रा का शुभारंभ बतौर अतिथि जिप अध्यक्ष शालिनी गुप्ता ने किया. कलश यात्रा में 251 माताओं व बहनों ने भाग लिया.
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