21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बालू के अभाव में ठप हैं कार्य

खूंटी : खूंटी जिले में बालू के लिए हाहाकार मचा है. विकास कार्य से लेकर निजी कार्य बालू के अभाव में ठप से हो गये हैं. झारखंड कैबिनेट ने बालू की नीलामी को रद्द कर दिया है. सरकार का मानना है कि बालू घाटों का अधिकार अब पंचायतों को होगा. एक बड़ी भूल : सरकार […]

खूंटी : खूंटी जिले में बालू के लिए हाहाकार मचा है. विकास कार्य से लेकर निजी कार्य बालू के अभाव में ठप से हो गये हैं. झारखंड कैबिनेट ने बालू की नीलामी को रद्द कर दिया है.

सरकार का मानना है कि बालू घाटों का अधिकार अब पंचायतों को होगा. एक बड़ी भूल : सरकार के खनन विभाग ने कई जिलों के विभिन्न घाटों की नीलामी की. खुली डाक में मुंबई की कंपनियों ने कब्जा जमाया.

अधिकतर घाटों की नीलामी 50 से 300 प्रतिशत तक बढ़ कर ली गयी, जबकि निविदा की नियम कहती है कोई भी डाक गत डाक से 10 फीसदी से ज्यादा दर पर हो, तब आये डाकधारकों के बीच लॉटरी से किसी एक का चयन कर लेना चाहिए. ऐसा विदेशी शराब की डाक में अक्सर किया जाता है.

ग्राम पंचायत : सरकार के आदेश के बाद अब बालू घाटों पर ग्राम सभा (पंचायत) का अधिकार होगा. पूर्व में भी यह कार्य हो चुका है. नियम के तहत ग्राम सभा को एक पासबुक खोलना है. इसके बाद ग्राम सभा खनन विभाग से माइनिंग चालान लेकर बिक्री की राशि इस एकाउंट में जमा करेगी. गत दिसंबर के अंत तक खूंटी जिले के किसी ग्राम सभा ने एकाउंट नही खुलवायी है.

इनवायरमेंट क्लियरेंस : गत महीने हुई डाक में मुंहमांगी रकम लेकर संवेदक ने बालू घाटों की नीलामी ली. इसके बाद वे घाटों के इनवायरमेंट क्लियरेंस लेने में असफल रहे. यही नियम ग्राम सभा के अधीन बालू घाटों के संचालन में भी पालन होगा, तब सवाल उठता है क्या ग्राम सभा को आसानी से इनवायरमेंट क्लियरेंस मिल जायेगा.

दर का निर्धारण : ग्राम सभा को अधिकार दिये जाने के बाद खनन अधिनियम 66 के तहत बालू घाटों से बालू बिक्री की दर का निर्धारण डीसी करेंगे. जबकि निविदा की नियम कहती है कि पहले दर निर्धारण होना चाहिए था, फिर नीलामी. यह पालन पूर्व में किया जाता, तो शायद कोई संवेदक बालू घाटों की ऊंची बोली लगाने की जरूरत समझता.

सरकार पर ही बोझ पड़ेगा : सरकार का दावा है अब झारखंड के बालू घाटों से करीब 200 करोड़ रुपये का मुनाफा हो सकता है.

अन्य जिलों की तरह खूंटी जिले की ही बात करें, तो घाटों का करीब 80 प्रतिशत बालू सरकारी विकास कार्यो में, जबकि 20 प्रतिशत बालू निजी लोगों के कार्य में खपता है. बालू का दर बढ़ेगा, तो जाहिर है कि सरकारी योजनाओं का प्राक्कलन बढ़ेगा. यानी सरकार जिस राजस्व को कमाने का दावा करती है, वह पैसा खुद सरकार का होगा. सरकार का पैसा निकलेगा, फिर वापस आयेगा.

जिले में बालू घाटों पर किसी का अधिकार नहीं. संपत्ति सरकार की. जिले में सड़क चौड़ीकरण से लेकर सरकारी कई योजनाओं व निजी कार्यो में बालू का उपयोग हा रहा है. तो क्या ये वैध हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें