डकरा : खलारी का लाइफ लाइन व रांची से भाया खलारी होते हुए हजारीबाग, चतरा, डोभी को जोड़नेवाली खलारी ओवरब्रीज की मरम्मत व रख-रखाव का जिम्मा न तो रेलवे को है और न ही राज्य सरकार को. ऐसे में निर्माण के आठ साल के भीतर ही ओवरब्रीज जर्जर हो चुकी है. इसका निर्माण रेलवे व राज्य सरकार की संयुक्त भागीदारी से भारत सरकार का उपक्रम कोंकण रेलवे काॅर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा वर्ष 2009-10 में 11 करोड़ 87 लाख 5 हजार 969 की लागत से किया गया था.
तय प्राक्कलन के अनुसार काम की गुणवत्ता व अधूरा काम करने को लेकर पूर्व में भी स्थानीय लोगों ने कई बार सवाल खड़ा किया, लेकिन कभी उस पर ध्यान नहीं दिया गया. घटिया निर्माण कार्य होने व हेवी ट्रैफिक के कारण साल भर के भीतर ही ब्रीज की सड़क टूटने लगी. पुल का रेलिंग भी कई जगह टूट कर गिर गया है. कई बार तो पुल बंद होने की स्थिति में पहुंच गयी थी, लेकिन कभी स्थानीय लोग तो कभी सीसीएल इसकी मरम्मत करा कर चलने लायक बनाये रखा. मोहननगर डकरा के सामाजिक कार्यकर्ता मुन्नू शर्मा ने आरटीआइ के माध्यम से पुल से संबंधित चौंकानेवाली जानकारी प्राप्त की है.
उन्होंने बताया कि पुल निर्माण के एक साल बाद इसका रख-रखाव व मरम्मत का जिम्मा तय ही नहीं किया गया है. धनबाद मंडल के पूर्व मध्य रेल मंडल अभियंता ने आरटीआइ के माध्यम से जानकारी दी है कि निर्माण के बाद रख-रखाव व मरम्मत की नियमावली से संबंधित कोई जानकारी कार्यालय को नहीं है. वहीं राज्य सरकार के पथ निर्माण विभाग व पथ प्रमंडल रांची के कार्यपालक अभियंता ने भी बताया है कि ब्रीज की देखरेख व मरम्मत संबंधी कोई भी दास्तावेज उनके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है.
बीजूपाड़ा हजारीबाग सड़क निर्माण कार्य के प्राक्कलन में शामिल नहीं है पुल का निर्माण कार्य: बीजूपाड़ा-हजारीबाग सड़क निर्माण का कार्य केएमसी व इसीआइ कंपनी 455 करोड़ की लागत से कर रही है. उसके प्राक्कलन में पूल की मरम्मत व देखरेख का कार्य शामिल नहीं है. हालांकि स्टेट हाइवे ऑथोरिटी ऑफ झारखंड (साज) ने केएमसी व इसीआइ को टर्मीनेट कर दिया है और 255 करोड़ का दोबारा प्राक्कलन तैयार कर टेंडर कराया गया है. इस प्राक्कलन में पुल का मरम्मत कार्य शामिल है की नहीं इसकी जानकारी नहीं मिल पायी है.
कई लोगों ने पुल की मरम्मत का उठाया है मामला
रांची के पूर्व व वर्तमान उपायुक्त, सांसद, विधायक व कई स्थानीय जनप्रतिनिधि ने समय -समय पर पुल की मरम्मत करने का मामला उचित फोरम पर उठाया है. खलारी अंचल अधिकारी भी इस संबंध में सीसीएल को कई बार पत्र लिखे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. सामाजिक कार्यकर्ता मुन्नू शर्मा के प्रयास से पहली बार इससे जुड़े तकनीकी उलझनों की जानकारी स्पष्ट हुई है.
पुल को नुकसान हुआ तो राज्य सरकार को होगी आर्थिक क्षति
सीसीएल का मगध-अाम्रपाली, पिपरवार और एनके एरिया से उत्पादित कोयले का एक बड़ा हिस्सा इसी पुल के माध्यम से ढुलाई होती है. जिससे राज्य सरकार को अरबों का राजस्व मिलता है. पुल बंद होने से राज्य सरकार को तो बड़ी आर्थिक क्षति होगी ही, आम लोगों को भी इससे परेशानी होगी. समय रहते पुल की मरम्मत व रख-रखाव की नियमावली के उलझन को दूर नहीं किया गया तो बड़ी परेशानी होगी.
पुल से सटे बिल्डिंग बन रहा है परेशानी का कारण
ओवरब्रीज से सटे एक बिल्डिंग पूल से भी उंचा बना दिया गया है. पुल निर्माण कार्य पूरा होने के बाद यह बिल्डिंग बना है. बिल्डिंग के कारण पूल का मोड़ से दूसरा छोर दिखायी नहीं देता है. जिसके कारण अक्सर यहां दुर्घटना होती है. बिल्डिंग की अधिक उंचाई से राहगीरों को काफी परेशानी होती है़ खास कर रात्रि में चालकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. खलारी सीओ एसएन वर्मा ने बताया कि पंजी-टू के अनुसार बिल्डिंग मालिक का जमीन सही है, लेकिन सुरक्षा के दृष्टिकोण से बिल्डिंग का निर्माण गलत है.