खूंटी : आदिवासी समाज के पुरुषों के उत्सव मनाने में मस्त रहने का फायदा उठाने के लिए मुगल शासकों ने आदिवासियों पर हमला किया़ उनके हमले से बचने के लिए आदिवासी महिलाओं ने पुरुष का वेश धारण की और हथियार लेकर खुद लड़ाई करने उतर गयी. मुगलों ने आदिवासियों पर सात बार हमला किया और हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी़ आदिवासी महिलाओं ने मुगल शासकों के दांत खट्टे कर दिये. इसी याद में हर 12 वर्ष पर जनी शिकार का आयोजन किया जाता है़
यह बातें मंगलवार को पड़हा राजा सोमा मुंडा ने जियारप्पा में आयोजित सामूहिक जनी शिकार मेला सह मिलन समारोह कार्यक्रम में कही. उन्होंने कहा कि पुरुष वेश धारण कर महिलाओं ने खुद को मुगलों से बचाया और अपने जल, जंगल, जमीन की भी रक्षा की़ समारोह में एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से महिलाओं की वीरता की गाथा साकार होती है. साथ ही आपसी एकता व भाईचारगी का विकास भी होता है. कुछ लोग पत्थलगड़ी के नाम पर लोगों के बीच नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं.
सबों को इनके बहकावे में नहीं आने की जरूरत है. पुलिस-पब्लिक रिश्ते में यूं कहे तो भाई-भाई हैं. कार्यक्रम में सभी मुंडा और पाहनों को पगड़ी पहना कर स्वागत किया गया़ इस अवसर पर विभिन्न पड़हा समिति के अंतर्गत हजारों की संख्या में पुरुषों के वेश में महिलाएं शामिल हुई. मौके पर झापा जिला महासचिव योगेश वर्मा, महादेव मुंडा, मंगल सिंह मुंडा, बंधना मुंडा, किनू मुंडा, महेंद्र खलखो, सामुएल संगा, दिनेश उरांव, संदीप खलखो आदि मौजूद थे.