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जामताड़ा में हजारों हैक्टेयर भूमि असिंचित

अनवर हुसैन : जामताड़ा जिला बने एक दशक बीत गये. जिला में न तो उद्योग लगे और न ही खेती के लिए सिंचाई की व्यवस्था हो पायी. लोगों के पास भूमि रहने के बाद भी अपनी भूमि से बेहतर खेती नहीं कर पा रहे हैं. वर्ष में खरीफ के एक फसल धान को छोड़ कर […]

अनवर हुसैन : जामताड़ा जिला बने एक दशक बीत गये. जिला में न तो उद्योग लगे और न ही खेती के लिए सिंचाई की व्यवस्था हो पायी. लोगों के पास भूमि रहने के बाद भी अपनी भूमि से बेहतर खेती नहीं कर पा रहे हैं. वर्ष में खरीफ के एक फसल धान को छोड़ कर दूसरी फसल लगाने के लिए किसानों को बहुत सोचना पड़ता है. रबी फसल के लिए बहुत कम ही किसानों के पास सिंचाई के साधन उपलब्ध है, जिस कारण से किसान अपनी भूमि को यूं ही छोड़ देते हैं.

कृषि विभाग के अनुसार जामताड़ा जिला में कुल खेती योग्य भूमि 93 हजार 160 हेक्टयर है. कुल सिंचित भूमि 21 हजार 8 सौ हैक्टयर तथा असिंचित भूमि 71 हजार 360 हैक्टयर भूमि है. सिंचाई के साधन के अभाव में एक बड़ी भूमि में किसाना खेती नहीं कर पा रहे हैं. ये आंकड़ा जन गणना 2010 के तहत ली गयी आंकड़ा है. किसान खेती को धीरे-धीरे छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं.

कई किसान तो निराश भी हो चुके हैं कि खेती जितनी राशि खर्च हाती है, उतनी उपज भी नहीं हो रहा है. सरकार की और से सिंचाई के लिए कई बड़ी-बड़ी योजनायें ली गयी, लेकिन योजनाएं भी सफल नहीं हो पायी. जानकारों के मुताबिक योजनाएं तो ली जा रही है, लेकिन उन योजनाओं को सही जगह पर नहीं बनायी जा रही है. जहां जरुरत नहीं रहती है, वहां भी चेक डैम का निर्माण कर दिया जाता है.

योजनाओं की सूची तो तैयार हुई है लेकिन स्वीकृत नहीं हुई
जिला कृषि पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत सिंचाई की कई प्रकार की योजनाएं ली गयी है, जो अभी स्वीकृत होकर नहीं आया है.योजना के तहत तालाब, सिंचाई चैनेल, डोभा, कूप सहित अन्य है. इस योजना में कृषि विभाग के अलावे भूमि संरक्षण विभाग,आत्मा,उद्यान, गव्य विकास,लघु सिंचाई, सिंचाई विभाग, सांख्यिकी विभाग सहित अन्य विभाग शामिल है.जिला वार्षिक योजना बनाकर भेजा गया है, जो स्वीकृत होकर नहीं आया है.

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