जमशेदपुर: महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण व समान अधिकार की बात करने वाली भारत की राजनीतिक पार्टियां इसके प्रति कितनी सजग है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जमशेदपुर जैसे शहरी क्षेत्र वाली लोकसभा सीट पर देश के पहले आम चुनाव के करीब 40 वर्ष बाद 1991 में महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरी.
इसके लिए कहीं न कहीं सभी राजनीतिक पार्टियां जिम्मेवार हैं. जमशेदपुर लोकसभा सीट पर दो लोकसभा उपचुनाव समेत 17 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं. इनमें से सात बार महिला प्रत्याशी मैदान में उतरीं, जबकि तीन बार उन्हें सफलता मिली.
ध्यान देने वाली बात यह है कि जमशेदपुर में महिला व पुरुष वोटरों की संख्या लगभग बराबर है, बावजूद इसके महिलाओं को टिकट देने में सभी पार्टियों ने कंजूसी की है. बहरहाल वर्तमान में भी हालात बदले नहीं हैं. यह कहना अनुचित नहीं होगा कि सभी राजनीतिक पार्टियों ने महिलाओं को मात्र वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है.
यहां तक जिन महिलाओं को संसद में पहुंचने का मौके मिला वो किसी राजनीति पृष्ठभूमि से जुड़ी नहीं रही. टिकट देने वाली पार्टियों ने बस वोट के लिए इनका इस्तेमाल किया है.