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विवेकानंद की तपाेभूमि का मॉडल है मंदिर

जमशेदपुर: भालूबासा श्रीश्री बजरंगबली विजय मंदिर समिति द्वारा मंदिर भवन काे 33 साल बाद फिर से मॉडिफाइड किया गया. कन्याकुमारी में बने स्वामी विवेकानंद की तपाेभूमि के मॉडल में मंदिर भवन का निर्माण किया गया है. 14 माह से आेड़िशा के कारीगराें द्वारा लगातार निर्माण किया जा रहा था. पंचमी के दिन मंदिर भवन का […]

जमशेदपुर: भालूबासा श्रीश्री बजरंगबली विजय मंदिर समिति द्वारा मंदिर भवन काे 33 साल बाद फिर से मॉडिफाइड किया गया. कन्याकुमारी में बने स्वामी विवेकानंद की तपाेभूमि के मॉडल में मंदिर भवन का निर्माण किया गया है. 14 माह से आेड़िशा के कारीगराें द्वारा लगातार निर्माण किया जा रहा था. पंचमी के दिन मंदिर भवन का उदघाटन हाेगा. मंदिर निर्माण में लाखाें रुपये का खर्च हुआ है. खूबसूरत ग्रेनाइट, मार्बल आैर टाइल्स का इस्तेमाल मंदिर की सज्जा काे बढ़ाने के लिए किया गया है.

मंदिर के सामने स्टील के ग्रिल लगाये गये हैं, जिससे उसकी सुंदरता आैर बढ़ रही है. इस दाैरान कई कार्यक्रम भी आयाेजित किये जायेंगे. 1967 में भालूबासा जंबाे अखाड़ा के साथ-साथ श्री बजरंगबली की प्रतिमा की स्थापना की गयी थी. 1984 में प्रतिमा स्थल काे भवन का रूप दिया गया था. श्री बजरंगबली की प्रतिमा का निर्माण शहर के मूर्तिकार मधुसूदन गाेस्वामी द्वारा किया गया है. बजरंगबली की मूर्ति की ऊंंचाई 19 फीट आैर पहाड़ समेत 21 फीट की है. काेल्हान के लाेगाें के लिए यह मंदिर आकर्षण का केंद्र है, जहां लाेग मन्नतें पूरी हाेने के बाद पूजा करने दूर-दराज से आते हैं.

मंदिर समिति के बंटी सिंह ने बताया कि वर्षाें से स्थानीय लाेगाें के सहयाेग से मिलकर मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रमाें का आयाेजन किया जाता रहा है. पूर्व में मंदिर का ढांचा कुछ पुराना हाे गया था. समय-समय पर उसकी मरम्मत का काम किया जाता था, लेकिन पिछले कुछ दिनाें से समिति के सदस्य व स्थानीय लाेगाें द्वारा कहा जा रहा था कि वे इसे नया स्वरूप प्रदान करें, जिसके बाद आर्टिटेक्ट से नक्शा बनवाया गया. मंदिर परिसर अब काफी खुला दिखता है. भालूबासा-बारीडीह मुख्य मार्ग से भी लाेग दर्शन करते हुए गुजरते हैं.

मंदिर समिति द्वारा संचालित जंबाे अखाड़ा में बसंत पंचमी के दिन से ही श्री रामनवमी पताका काे फहरा दिया जाता है आैर पूजन शुरू हाे जाता है. हर दिन शाम काे अखाड़ा सजता है, जहां लाठी-डंडा के खेल के साथ करतब दिखाने लाेग पहुंचते हैं. जंबाे अखाड़ा की विशाल कलश यात्रा निकलती है, इसके अलावा आतिशबाजी आैर विद्युत सज्जा आकर्षण का केंद्र हाेती है, जिसमें शामिल हाेने आैर देखने के लिए दूर-दराज से लाेग आते हैं.

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