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एक साल की सबर बच्ची गीता को है ‘रैनुला’ 10 लाख में किसी एक को होती है यह बीमारी
मुसाबनी : झारखंड के पूर्वीसिंहभूम जिले के मुसाबनी प्रखंड की तेरंगा पंचायत के चापड़ी गांव निवासी आदिम जनजाति सबर की बच्ची गीता सबर (एक वर्ष) को वैसी असाध्य बीमारी हो गयी है, जो 10 लाख लोगों में से किसी एक को होती है. आम बोलचाल की भाषा में इस बीमारी को रैनुला कहते हैं. इस […]
मुसाबनी : झारखंड के पूर्वीसिंहभूम जिले के मुसाबनी प्रखंड की तेरंगा पंचायत के चापड़ी गांव निवासी आदिम जनजाति सबर की बच्ची गीता सबर (एक वर्ष) को वैसी असाध्य बीमारी हो गयी है, जो 10 लाख लोगों में से किसी एक को होती है. आम बोलचाल की भाषा में इस बीमारी को रैनुला कहते हैं. इस बीमारी का इलाज भी है, लेकिन गरीब सबर परिवार के पास जब खाने के ही पैसे उपलब्ध नहीं हों, तो वह इसका इलाज किस हद तक करवा पाता. इसके बावजूद बच्ची के पिता ने जहां-तहां से कुछ पैसे जुगाड़ करके सीएचसी से एमजीएम अस्पताल, जमशेदपुर तक इलाज के लिए दौड़ लगायी, लेकिन कुछ बात नहीं बनी. थक-हारकर वह घर बैठ गया और बच्ची के पास दर्द से कराहने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.
नौ माह में जीभ लटकने लगी और 12वें महीने में ही फूलकर मुंह के बाहर निकल गयी : बच्ची गीता की मां विरासी सबर ने बताया कि उसका पति कालू सबर जलावन बेचकर व मजदूरी करके परिवार चलाता है. जब गीता का जन्म हुआ तो वह सामान्य शिशु थी, लेकिन जब वह नौ माह की हुई, तो उसकी जीभ लंबी होने लगी. वह दर्द से परेशान भी रहने लगी. इस बीच लंबी जीभ फूलने लगी औरदेखतेही देखते इतनी फूल गयी कि बच्ची का मुंह ही बंद होना मुश्किल हो गया. अब न तो वह अनाज खा सकती है, न ही मां का दूध पी सकती है. किसी तरह पाउडर वाला दूध उसे निपल के जरिये मुंह में दिया जाता है. दूध भी वह भूख के बराबर नहीं पी पाती है. इसके कारण वह दर्द और भूख से तड़पती रहती है. उसकी मां अपनी बच्ची को दिन भर गोद में लेकर बहलाने की कोशिश करती है, लेकिन वह दर्द और भूख के कारण शांत नहीं हो पाती.
एमजीएम अस्पताल ने इलाज की बजाय उसे घर लौटा दिया : अपने घर खर्च से कटौती करके कालू सबर ने गीता का इलाज पहले स्थानीय स्तर पर करवाया. लेकिन, कोई फायदा नहीं हुआ. इसके बाद वह केंद्राडीह स्थित सीएचसी में बच्ची को इलाज के लिए ले गया. वहां से गीता को एमजीएम रेफर कर दिया गया. कालू व उसकी पत्नी बच्ची को लेकर एमजीएम, जमशेदपुर भी पहुंचे. वहां इलाज शुरू हुआ, लेकिन एक सप्ताह की दवाई के बाद भी बीमारी घटने की बजाय बढ़ती ही गयी. आरोप है कि एक सप्ताह के इंतजार के बाद भी इलाज करने की बजाय डॉक्टरों ने उसे वापस घर भेज दिया.
परिवार के पास नहीं है लाल कार्ड, ससुराल में रहता है कालू सबर : परिवार अत्यंत गरीबी में जीवन-यापन कर रहा है. इसके बावजूद उनके पास लाल कार्ड तक नहीं है. कालू सबर अपनी पत्नी विरासी सबर के साथ अपनी ससुराल चापड़ी में रहता है. उसका घर दामपाड़ा वरडीह में. विरासी सबर के पिता काठिया सबर के पैर में चोट लग गयी है. इसलिए, वह उनकी देखभाल के लिए परिवार के साथ चापड़ी में रह रहा है.
क्या है रैनुला : जमशेदपुर के सीनियर डेंटल सर्जन डॉ सिकंदर प्रसाद के अनुसार रैनुला एक गंभीर बीमारी है. यह अमूमन 10 लाख लोगों में से किसी एक को होती है. खासतौर पर बच्चों को होने वाली इस बीमारी में जीभ के नीचे का मुलायम हिस्सा फूलने लगता है और वह काफी बड़ा हो जाता है. इतना बड़ा कि मुंह भी बंद करना मुश्किल हो जाता है. इस बीमारी का इलाज संभव है. दरअसल, रैनुला एक अफ्रीकन मेंढक है, जो अपना मुंह काफी फुला लेता है. इस कारण इस बीमारी को रैनुला कहा जाता है. वैसे इसका मेडिकल नाम स्लाइवरी ग्लैंड ट्यूमर है.
बच्ची को स्लाइवरी ग्लैंड ट्यूमर प्रतीत हो रहा है. उसके इलाज में हर संभव मदद की जायेगी.
-डॉ सिकंदर प्रसाद, सीनियर डेंटल सर्जन (जमशेदपुर)
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