प्रबंधन का दबाव भी रहा बेअसर. कमेटी मेंबरों को कार्यशाला में ले जाने के लिए प्रबंधन का दबाव भी काम नहीं आया. सुबह उनके कार्यशाला में नहीं पहुंचने पर आइआर अधिकारी उन्हें फोन करते रहे. लाइन में ड्यूटी कर रहे कमेटी मेंबरों को हाजिरी काटने की चेतावनी दिये जाने तथा शॉप फ्लोर पर कमेटी मेंबरों के साथ हल्की झड़प की सूचना भी मिली, लेेकिन उसकी पुष्टि नहीं हो पायी है. क्यों नहीं जा रहे कमेटी मेंबर. कंपनी के अंदर कमेटी मेंबर्स पर कर्मचारियों का भारी दबाव है. ऑफिस बियरर पंच कर चले जाते हैं, लेकिन कमेटी मेंबरों को शॉप फ्लोर पर हमेशा कर्मचारियों के साथ रहना पड़ता है. कमेटी मेंबरों को सुविधा के नाम पर कुछ नहीं मिलता. किसी कर्मचारी के काम से ड्यूटी अवधि में निकलने पर उनका वेतन कट जाता है.
ऑफिस बियररों की तरह वाहन पास भी नहीं मिला. कंपनी में कर्मचारी एमओपी लागू किये जाने का विरोध कर रहे हैं. अध्यक्ष, महामंत्री सहित 10 ऑफिस बियरर कार्यशाला से दूर रहे, ऐसे में कमेटी मेंबर भी कार्यशाला में जाने से इनकार कर रहे हैं. कंपनी के ट्रांसपोर्ट विभाग, पीपीसी, फ्रेम फैक्ट्री, व्हीकल फैक्ट्री में कमेटी मेंबरों को समझाने का प्रयास पसर्नल विभाग के अंकुर सिन्हा, तोते खेमा के दो ऑफिस बियररों ने किया,लेकिन कमेटी मेंबर तैयार नहीं हुए. बाद में दोनों नेता कार से चले गये.