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एक्ट में संशोधन अविलंब रद्द हो
कोल्हानस्तरीय आदिवासी छात्र एकता के सम्मेलन में जुटे 500 छात्र जमशेदपुर : बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन प्रेक्षागृह में आदिवासी छात्र एकता के बैनर तले गुरुवार को कोल्हान के छात्रों का सम्मेलन हुआ. सम्मेलन में कोल्हान के करीब 500 छात्रों ने शिरकत किया. आदिवासी छात्र एकता के केंद्रीय अध्यक्ष जसाई मार्डी ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट […]
कोल्हानस्तरीय आदिवासी छात्र एकता के सम्मेलन में जुटे 500 छात्र
जमशेदपुर : बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन प्रेक्षागृह में आदिवासी छात्र एकता के बैनर तले गुरुवार को कोल्हान के छात्रों का सम्मेलन हुआ. सम्मेलन में कोल्हान के करीब 500 छात्रों ने शिरकत किया. आदिवासी छात्र एकता के केंद्रीय अध्यक्ष जसाई मार्डी ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में 1908 से लेकर अब तक 26 बार संशोधन हो चुका है. परंतु इस बार का संशोधन सबसे घातक है. राज्य सरकार संशोधन कर आदिवासी-मूलवासी को मिटाने की साजिश कर रही है.
उनकी नजर आदिवासी-मूलवासी के जमीन पर है ताकि पूंजीपतियों के लिए यहां आने का रास्ता बन सके. अपनी अस्तित्व की रक्षा के लिए आदिवासी छात्र सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है. अब गांव से लेकर सदन तक सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे. सरकार संशोधन बिल को अविलंब रद्द करे. अन्यथा अब आदिवासी-मूलवासी का आक्रोश थमने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट को कभी भी सख्ती से लागू करने की दिशा में काम नहीं किया. लेकिन एक्ट में कैसे बदलाव हो, इसपर विधानसभा में महज 3 मिनट में संशोधन बिल को पास कर दिया.
इससे सरकार की गलत मंशा का पता चलता है. सरकार एक्ट में सरलीकरण के नाम पर सफाई करने का अभियान चला रही है. लेकिन सरकार को उनके मंशा में कामयाब नहीं होने दिया जायेगा. सम्मेलन में केंद्रीय महासचिव-दुर्गाचरण हेंब्रम, उपाध्यक्ष-हेमेंद्र हांसदा, सचिव-नवीन मुर्मू, संगठन सचिव-सपन सरदार, रोशन मिंज, रामसिंह मुंडू, नियारेन हेरेंज, लक्ष्मी पाडेया, संजय होरो, राम हांसदा, जयपाल सरदार, बुद्धिनाथ, संजीव कुमार टुडू, निर्मल किस्कू, गुरुचरण सोरेन, राज बांकरा, नवीन मुर्मू, सुनील बास्के, देवीलाल टुडू, अर्जुन टुडू समेत अन्य वक्ताओं ने अपनी बातों रखा. कार्यक्रम का संचालन इंद्र हेंब्रम ने किया.
ये प्रस्ताव हुए पारित
सीएनटी-एसपीटी एक्ट को बचाने के लिए गांव से लेकर सदन तक आंदोलन करेंगे.तीर-धनुष रखना आदिवासी सामाजिक व्यवस्था में है, प्रशासन उन्हेें परेशान करना बंद करें. समाज से बिना सलाह-मशविरा के सीएनटी-एसपीटी एक्ट में किसी तरह का कोई संशोधन नहीं हो.सरकार विकास प्रति चिंतित है तो पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र के बाहर अपना इंफ्रास्टेक्चर विकसित करे. जमीन से संबंधित 86291 मुकदमा लंबित है, सरकार उस जमीन को वापस दिलाने का काम करे.
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