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खुफिया विभाग व प्रशासन को विरोध की भनक भी नहीं लगी

जमशेदपुर : खरसावां में रविवार को शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे सीएम रघुवर दास के विरोध की घटना कहीं न कहीं खु‍फिया एजेंसी व प्रशासन की चूक का परिणाम रहा. दरअसल, सीएनटी व एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक विधानसभा में पास होने के बाद से राज्यभर में बने माहौल को खुफिया विभाग व प्रशासन ने हल्के […]

जमशेदपुर : खरसावां में रविवार को शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे सीएम रघुवर दास के विरोध की घटना कहीं न कहीं खु‍फिया एजेंसी व प्रशासन की चूक का परिणाम रहा. दरअसल, सीएनटी व एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक विधानसभा में पास होने के बाद से राज्यभर में बने माहौल को खुफिया विभाग व प्रशासन ने हल्के में लिया. पूर्व में तय कार्यक्रम के अनुसार सभी को मालूम था कि एक जनवरी को मुख्यमंत्री खरसावां में शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे. इसके बावजूद खुफिया विभाग व जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को गंभीरता से नहीं लिया.

कड़ी सुरक्षा के बावजूद कामयाब हो गये विरोधी

खरसावां शहीद स्थल पर रविवार को मुख्यमंत्री का कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा के दृष्टिकोण से चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान व दंडाधिकारी की तैनाती के बावजूद विरोधी अपने मंसूबे में कामयाब हो गये. पुलिस प्रशासन की तैयारी धरी की धरी रह गयी.

मुख्यमंत्री वापस जाओ के लगे नारे : विभिन्न आदिवासी संगठनों के सदस्य व कोल्हान के विभिन्न हिस्सों से शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे लोगों ने मुख्यमंत्री को काला झंडा दिखाया. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन विधेयक को वापस लो, मुख्यमंत्री वापस जाओ के नारे लगाये.

सीएम के शहीद स्थल पर पहुंचते ही पॉकेट से निकाला काला झंडा

सुबह 11.57 बजे मुख्यमंत्री रघुवर का काफिला शहीद स्थल के सामने पहुंचा. विरोधी पॉकेट से काला झंडा निकाल कर मुख्यमंत्री के सामने लहराने लगे. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के मुद्दे पर सीएम के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. 11.58 बजे से 12.05 बजे तक मुख्यमंत्री को शहीद गेट के बाहर खड़ा रहना पड़ा. इसके पश्चात लोगों ने शहीद पार्क का गेट खोला.

मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई होगी : एसपी

एसपी संजीव कुमार ने कहा कि खरसावां शहीद स्थल पर सीएम का विरोध करने व काले झंडे दिखाने के मामले की जांच होगी. दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी. सीएम की सुरक्षा को लेकर पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया था. इसके लिए तीन गेट बनाये गये थे. वहीं बैरिकेडिंग की गयी थी. एसपी ने कहा कि पुलिस कार्यक्रम लेकर गंभीर थी. लोग शहीद स्थल पर पूजा करने के लिए गये थे. वहीं विरोध करने लगे.

झंडा दिखाने वालों पर होगी कार्रवाई : डीसी : डीसी के श्रीनिवासन ने कहा कि खरसावां शहीद दिवस पर सीएम के कार्यक्रम में काला झंडा दिखाने व नारेबाजी करनेवालों पर प्रशासन कठोर कारवाई करेगी.

लोकतंत्र में विरोध करना सबका अधिकार है, लेकिन शहीदबेदी में सीएम को जाने से रोकना व नारेबाजी करने के मामले में प्रशासन कड़ी कारवाई करेगी. प्रशासन द्वारा दोषियों को चिन्हित किया जा रहा है.

शहीद पार्क गेट पर तैनात नहीं थे जवान, विरोधियों के आगे बेबस रहे सुरक्षाकर्मी

विरोधियों ने सीएम को शहीद पार्क गेट पर करीब सात मिनट तक अंदर नहीं आने दिया. ऐसे में सवाल उठता है कि पुलिस के जवान शहीद पार्क व गेट पर तैनात क्यों नहीं थे. सीएम के पहुंचने पर विरोधियों ने शहीद पार्क का गेट बंद कर दिया, लेकिन सुरक्षा के जवान कुछ नहीं कर सके. विरोधियों के समक्ष सुरक्षा में तैनात जवान बेबस दिखे. शहीद पार्क के गेट पर सुरक्षा की व्यवस्था नहीं थी, जबकि राज्य के मुखिया शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे.

बिना जांच कैसे अंदर पहुंचे विरोधी, अगर जांच हुई तो जेब में काला झंडा कैसे आया?

जिला पुलिस अधीक्षक के अनुसार मुख्यमंत्री रघुवर दास के पहुंचने से पूर्व विरोधी शहीद पार्क के अंदर प्रवेश कर चुके थे. जबकि प्रशासन को यह बताना चाहिए कि सीएम के कार्यक्रम के बावजूद लोगों को बिना जांच किये अंदर कैसे आने दिया गया. अगर जांच कर सभी को अंदर आने दिया गया, तो उनकी पॉकेट में काला झंडा कैसे रह गया. शहीद स्थल जाने वाली सड़कों के साथ-साथ मुख्य गेट पर जांच के लिए बैरिकेडिंग की गयी थी, लेकिन जांच के दौरान पुलिस को एक भी काला झंडा नहीं मिला. खुफिया तंत्र इसमें पूरी तरह से फेल रहा.

पूर्व से विरोध के मिल रहे थे संकेत, फिर भी हुई चूक

खरसावां में मुख्यमंत्री के विरोध होने की बात सामने आ रही थी, लेकिन खुफिया तंत्र व पुलिस ने इसे हल्के में लिया. किसी को इसका अंदाजा नहीं था कि विरोधी इतनी तैयारी से वहां पहुंचेंगे. मुख्यमंत्री के पहुंचते ही विरोधियों ने काला झंडा दिखाना शुरू कर दिया. इस दौरान पुलिस व मुख्यमंत्री का विरोध कर रहे लोगों की बीच हल्की नोकझोंक हुई. मुख्यमंत्री को सुबह 11.57 से दोपहर 12.09 तक करीब 12 मिनट शहीद स्थल पर रहे. इस दौरान उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा. मुख्यमंत्री के वापस लौटने के बाद भी नारेबाजी होती रही.

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