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मलेरिया से चार सबर की मौत

पटमदा : पटमदा की नक्सल प्रभावित गोबरघुसी पंचायत के तुरीकोचा व जेरका सबर टोला में मलेरिया से पिछले 25 दिनों में दो बच्चे समेत चार लोगों की मौत हो चुकी है. मलेरिया से अब भी दर्जनभर आदिम जनजाति (सबर) महिला, पुरुष बच्चे व बूढ़े का इलाज का इलाज नहीं हो रहा है. इसके अलावा इसी […]

पटमदा : पटमदा की नक्सल प्रभावित गोबरघुसी पंचायत के तुरीकोचा व जेरका सबर टोला में मलेरिया से पिछले 25 दिनों में दो बच्चे समेत चार लोगों की मौत हो चुकी है. मलेरिया से अब भी दर्जनभर आदिम जनजाति (सबर) महिला, पुरुष बच्चे व बूढ़े का इलाज का इलाज नहीं हो रहा है. इसके अलावा इसी पंचायत के जंगल व पहाड़ों से घिरे सारी, बाटालुका, आमदापहाड़ी, मोहनपुर आदि गांव के लोग मलेरिया से पीड़ित हैं. सारी गांव के तुरीकोचा सबर टोला में पिछले 15 दिनों पूर्व काकुली सबर की चार वर्षीय बेटी अंजली सबर की तेज बुखार (मलेरिया) से मौत हो गयी थी. वहीं काकुली व उसकी छोटी बेटी सारती, जो नौ माह की है, अब भी बीमार हैं.

अंजली की मौत के एक दिन बाद निर्मल सबर के एक बर्ष के बेटे सोनू सबर की मौत हो गयी थी. तुरीकोचा सबर टोला में सारती सबर, काकुली सबर, अलंगी सबर, निरोती सबर, पार्वती सबर बीमार पड़े हैं. वहीं जेरका गांव में भी 20 दिनों पूर्व आसपास मलेरिया से भीम सबर व उसकी बहन जुड़ी सबरीन की मौत हो गयी थी. इस गांव में विश्वनाथ सबर, वासंती सबर, पंचु सबर, दोलु सबर, गाड़ेल सबर आदि बीमार हैं. इसके अलावा गोबरघुसी पंचायत के सारी, बाटालुका, आमदापहाड़ी, अोपो आदि क्षेत्रों में लोग इलाज के अभाव में मलेरिया से पीड़ित हैं. मालूम हो कि तुरीकोचा सबर टोला में वर्ष 2014 में गोपाल सबर के पत्नी व दो बच्चे की डायरिया से मौत हो गयी थी.

चिकित्सा के अभाव में मारे जा रहे हैं आदिम जनजाति : मुखिया. गोबरघुसी के मुखिया खगेंद्र नाथ सिंह ने कहा कि सुदूर देहात क्षेत्रों में चिकित्सा व्यवस्था के अभाव में आये दिन मारे जाते हैं आदिमजनजाति के लोग. दिनों दिन विलुप्त होती इन सबर परिवारों के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलायी जाती हैं, पर धरातल पर नहीं पहुंच पाती है. श्री सिंह ने कहा कि व्यवस्था के अभाव में आज भी तुरीकोचा व जेरका सबर टोला के लोगों को बिरसा आवास, बिजली व सड़क की सुविधा नहीं मिल पायी है. मुखिया ने कहा कि वे खुद पिछले 20-25 दिनों से अोपो गांव में मलेरिया व टायफड से पीड़ित थे. किसी तरह एक दो दिनों में बीमारी से उभर कर आज क्षेत्र का जायजा लेने पहुंचे हैं.
मुखिया साहब! मेरे बेटे-बेटी को बचा लीजिये : मंजरी
जेरका सबर टोला की मंजरी सबरीन, जिसे रहने के लिए अपना घर भी नहीं है, पेड़ के नीचे पति पत्नी दोनों बीमार बच्चों के साथ गुजारा कर रहे हैं. मंजरी ने मुखिया खगेंद्र नाथ सिंह व पूर्व मुखिया नील रतन पाल से कहा कि साहब मेरा बेटे-बेटी को बचा लीजिये. सप्ताह भर से दोनों बीमार हैं. किसी तरह झोला छाप डॉक्टर से इजाल चल रहा है, पर कोई सुधार नहीं हो रहा है.
बेटी की मौत के बाद डॉक्टरों की टीम एक दिन आयी थी : काकुली
तुरीकोचा गांव की काकुली सबर ने बताया कि बेटी की मौत के बाद डॉक्टरों की टीम एक दिन ही गांव आयी है. इस दौरान मात्र दो घंटे ही गांव में चिकित्सा कैंप लगाया गया था. उस वक्त अपनी छोटी बेटी को गोद में लेकर रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे के यहां काम करने गयी थी. उसके बाद दोबारा डॉक्टरों के गांव में नहीं आने के कारण इजाल नहीं करा पायी.

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