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गिरफ्त में सिंटू, कोलकाता में प्रसन्नजीत का सफल ऑपरेशन

उलीडीह फायरिंग जमशेदपुर : उलीडीह के प्रसन्नजीत मंडल पर फायरिंग मामले के नामजद अभियुक्त सिंटू सिंह को पुलिस अपनी गिरफ्त में रख कर पूछताछ कर रही है. हालांकि पुलिस को सिंटू सिंह ने अब तक कुछ भी जानकारी नहीं दी है. लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिंटू ने पुलिस को बताया है कि […]

उलीडीह फायरिंग
जमशेदपुर : उलीडीह के प्रसन्नजीत मंडल पर फायरिंग मामले के नामजद अभियुक्त सिंटू सिंह को पुलिस अपनी गिरफ्त में रख कर पूछताछ कर रही है. हालांकि पुलिस को सिंटू सिंह ने अब तक कुछ भी जानकारी नहीं दी है. लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिंटू ने पुलिस को बताया है कि प्रसन्नजीत पर जब गोली चली थी, तो वह अपने इलाज के लिए शहर से बाहर था.
प्रसन्नजीत पर फायरिंग मामले में उसका कोई हाथ नहीं है. उसने पुलिस को बताया कि घटना के वक्त वह शहर में नहीं था, इसके बारे में उसके पास कई इलाज के कागजात भी हैं.
वहीं उलीडीह पुलिस ने इस मामले में अमरनाथ के भाई शक्ति िसंह और मृत्युंजय को िगरफ्तार कर पूछताछ कर रही है. सिटी एसपी प्रशांत आनंद ने बताया कि प्रसन्नजीत के बयान पर सिंटू सिंह और दो अज्ञात पर केस दर्ज कराया गया था. जिसके बाद पुलिस सिंटू को पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही थी. इस दौरान उसके कई साथियों को पकड़ कर पूछताछ की गयी. इसी दौरन सिंटू सिंह के लोकेशन के बारे में जानकारी मिलने पर जमशेदपुर पुलिस ने उसे कस्टडी में रखा है. जांघ की गोली निकाली. वहीं शुक्रवार को प्रसन्नजीत का ऑपरेशन कोलकाता के एक अस्पताल में किया गया. ऑपरेशन के दौरान प्रसन्नजीत की जांघ में फंसी गोली को निकाला जा चुका है. उसकी स्थिति खतरे से बाहर है.
लेकिन डॉक्टरों ने उसे आराम करने की सलाह दी है. ऑपरेशन के संबंध में प्रसन्नजीत के परिवार के लोगों ने उलीडीह थाना प्रभारी कमलेश पासवान को फोन पर जानकारी दी. गौरतलब है कि बुधवार की रात को तीन अज्ञात युवकों ने प्रसन्नजीत को उसके घर के पास ही तीन गोली मारी थी.
पब्लिकेशन में उलझा प्रमोशन
यहां फंसा है पेंच
2014 के पूर्व पब्लिकेशन वाले डॉक्टर ही बन सकते है प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर
2015 में कई डॉक्टरों को प्रमोशन देकर प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर बनाया गया
एमसीआइ नियमों के अनुसार ये डॉक्टर प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के पात्र नहीं
2014 के पूर्व से लंबित प्रमोशन देने से दूर हो सकती है पब्लिकेशन की बाधा
जमशेदपुर. एमजीएम काॅलेज व अस्पताल में डॉक्टरों की कमी एमसीआइ की मान्यता में बड़ी बाधा बन सकती है. बीते दिनों यहां निरीक्षण को आयी एमसीआइ की टीम ने एमजीएम कॉलेज व अस्पताल में प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के प्रमोशन पर सवाल उठाया था.
टीम ने सर्जरी विभाग के एक डॉक्टर को छोड़कर किसी भी डॉक्टर को प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर नहीं माना था. एमसीआइ गाइड लाइन के अनुपालन को लेकर शुक्रवार को अस्पताल परिसर में कॉलेज के प्राचार्य डॉ एसी अखौरी ने अधीक्षक व सभी विभागाध्यक्ष के साथ बैठक की.
बैठक में कॉलेज व अस्पताल में चिह्नित की गयी कमियों के साथ ही प्रोफेसरों व एसोसिएट प्रोफेसर के मुद्दे पर भी विचार किया गया. एमसीआइ गाइड लाइन के अनुसार 2014 के पूर्व पब्लिकेशन वाले डॉक्टर ही प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर बन सकते है. हालांकि सरकार ने 2015 में कई डॉक्टरों को प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत किया था, लेकिन एमसीआइ टीम ने इन डॉक्टरों को प्राेफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर मानने से इनकार कर दिया.
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी डॉक्टर सरकार को पत्र लिखकर यह बताने की कोशिश करेंगे कि उन लोगों का प्रमोशन कई साल से लंबित है, अगर उन्हें 2014 के पूर्व से प्रमोशन दे दिया जाता है तो फिर पब्लिकेशन की बाधा नहीं रह जायेगी. बैठक में प्राचार्य ने सभी विभागाध्यक्ष को उनके विभाग की कमियों को लिखित रूप से देने को कहा ताकि उन्हें पूरा किया जा सके. बैठक में मुख्य रूप से डॉ मंधान, डॉ उमा शंकर, डॉ बी भूषण, डॉ ए के वर्मा, डॉ के एन सिंह, डॉ ए के वर्णवाल, डॉ डी हांसदा, डॉ एम के सिन्हा, डॉ लकड़ा, डॉ जमाल सहित अन्य डॉक्टर मौजूद थे.
बेड के बीच कम दूरी बड़ी बाधा. एमसीआइ की टीम ने अस्पताल के वार्डों में दो बेडों के बीच दूरी बढ़ाने के अलावा कई विभाग के फैक्लटी बनाने को भी कहा है. बैठक में अधीक्षक डॉ विजय शंकर दास ने बताया कि अस्पताल में मरीजों की संख्या काफी बढ़ रही है, उस अनुपात में जगह की कमी हो रही है.
इस कारण बहुत से कार्य एमसीआइ के गाइड लाइन के अनुसार नहीं हो पा रहे. इसके बाद भी जो भी कमियां है उन्हें पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. ओपीडी के विस्तार का प्रस्ताव. एमजीएम अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ओपीडी का विस्तार करने का प्रस्ताव डॉक्टरों ने दिया है. शुक्रवार को अधीक्षक के साथ विभागाध्यक्ष की बैठक में यह मुद्दा उठा.

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