जमशेदपुर. उचित मार्गदर्शन और सही इलाज से बांझपन की समस्या का समाधान संभव है. लोगों में इंफर्टिलिटी, टेस्ट ट्यूब बेबी को लेकर कुछ गलत धारणाएं व सही मार्गदर्शन के अभाव में झारखंड और व बिहार में यह समस्या अधिक है.
यह बात छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित पहलाजानी टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर (माता लक्ष्मी नर्सिंग होम) के स्पेशलिस्ट डॉ नीरजा पहलाजानी व सोनोलॉजिस्ट डॉ समीर पहलाजानी (डॉ नीरजा के पति) ने संयुक्त रूप से कही. वे गुरुवार को शहर स्थित एक होटल में प्रभात खबर से बात कर रहे थे. यहां उन्होंने संतान के इच्छुक कई दंपतियों की जांच भी की. रांची में खोली रायपुर सेंटर की शाखा. डॉ नीरजा ने बताया कि लोगों को सही मार्गदर्शन व इलाज की सुविधा मिले, इस उद्देश्य से रांची में उन्होंने ‘अवेटा’ नामक सेंटर की स्थापना की है, जो रायपुर स्थित सेंटर की ही शाखा है. उन्होंने बताया कि रांची सेंटर में उचित खर्च पर उचित इलाज किया जाता है.
यह नि:संतान दंपतियों के लिए उम्मीद की किरण साबित हो रही है. इस सेंटर में मोबाइल नंबर 977099745 पर संपर्क किया जा सकता है. झारखंड में 15 से 20 प्रतिशत लोगों में बांझपन की शिकायत. इस क्रम में उन्होंने कहा कि झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल में करीब 15 से 20 प्रतिशत दंपतियों में बांझपन की शिकायत है. महिलाओं में खासकर टीबी की वजह से नली बंद होना और पुरुषों में शुक्राणु की कमी इसका मुख्य कारण है. इस कारण गर्भधारण नहीं हो पाता है. इसके अलावा कम उम्र में शादी करने से भी गर्भधारण नहीं होना एक बड़ा कारण है.
बांझपन के पांच कारण
डॉ नीरज व डॉ समीर ने कहा कि गर्भधारण का भी तरीका है. इसके मूल समस्या को जानना जरूरी है. मुख्यत: इसके पांच कारण हैं, जिनमें पुरुषों में शुक्राणु की कमी या न होना, महिलाओं में नली, अंडाशय या बच्चेदानी में खराबी प्रमुख है. यदि कारण को जान कर उचित डॉक्टर द्वारा उचित अस्पताल में समय रहते इलाज कराया जाये, तो गर्भधारण संभव है.