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चौड़ीकरण में देर पर तेवर तल्ख, जमशेदपुर-रांची एनएच को मॉनिटर करेगी कोर्ट

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को रोड चौड़ीकरण के नाम पर पेड़ काटने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पेड़ों को बचाना जरूरी है. यह हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण है. सरकार पेड़ों को शिफ्टिंग मशीन से बचाये या हाथ से, लेकिन 14 इंच व्यास के पेड़ों […]

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को रोड चौड़ीकरण के नाम पर पेड़ काटने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पेड़ों को बचाना जरूरी है. यह हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण है. सरकार पेड़ों को शिफ्टिंग मशीन से बचाये या हाथ से, लेकिन 14 इंच व्यास के पेड़ों को बचाना ही होगा. इस तरह के पेड़ काटने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. पेड़ को सड़क से हटा कर री प्लांटिंग किया जाये.
मुख्यमंत्री के क्षेत्र को जाने वाली सड़क दयनीय : खंडपीठ ने एनएच की वर्तमान दयनीय स्थिति पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के क्षेत्र में जानेवाली सड़क की स्थिति काफी दयनीय है. काम पूरी तरह से डेड हो गया है. खंडपीठ ने कहा कि रांची-जमशेदपुर एनएच के चौड़ीकरण कार्य की कोर्ट अब मॉनिटरिंग करेगी. एनएचएआइ से जानना चाहा कि चौड़ीकरण कार्य समय पर क्यों पूरा नहीं हुआ.

कब से कार्य बंद है. काम क्यों बंद है. दोबारा कार्य कब से शुरू होगा, उसकी पूरी प्लानिंग देने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने पूछा कि एनएचएआइ को एक किमी या पांच किमी तक सड़क चौड़ीकरण कार्य पूरा करने में कितना समय लगेगा. क्रमवार ढंग से 50 किमी तक के निर्माण की सही टाइमिंग की जानकारी के साथ विस्तृत प्रतिवेदन दाखिल किया जाये.

चौड़ीकरण कार्य पर रोक नहीं: सड़क चौड़ीकरण कार्य पर कोई रोक नहीं है. कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश को पढ़ कर सुनाते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता से पूछा कि कार्य करने पर कहां रोक लगायी गयी है. जब कोई रोक ही नहीं लगाये हैं, तो आदेश में संशोधन की बात क्यों की जा रही है. सरकार काम करे और तेजी से प्रोजेक्ट को पूरा करने पर ध्यान दे. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ में मामले की विस्तृत सुनवाई हुई. खंडपीठ ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को चार राजमार्गों से संबंधित स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया.
एनएच पर मौत दुर्भाग्यपूर्ण, किनारे खड़े वाहनों को तत्काल हटायें : खंडपीठ ने कहा कि एनएच पर दुर्घटना में किसी की मौत होना दुर्भाग्यपूर्ण है. एनएचएआइ तुरंत एनएच के किनारे खड़े वाहनों को हटाये, ताकि दुर्घटनाओं को टाला जा सके. सड़क एनएचएआइ की है, इसलिए वह तुरंत कदम उठाये. खंडपीठ ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि सड़क विस्तारीकरण में लगभग 23 हजार से अधिक पेड़ काटे जायेंगे. एमीकस क्यूरी अधिवक्ता दिलीप जेरथ ने पक्ष रखा, जबकि राज्य सरकार की और से अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार व एनएचएआइ की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने पक्ष रखा. सड़क चौड़ीकरण के नाम पर पेड़ काटे जाने को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.
जवाब से कोर्ट असंतुष्ट…
होना राज्य के सरकारी अस्पतालों के लाइफ लाइन के लिए बहुत ही खेदजनक स्थिति है. जलजमाव से संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है. छह सदस्यीय कमेटी ने की थी एमजीएम अस्पताल की जांच. एमजीएम अस्पताल के बर्न यूनिट, इमरजेंसी, प्रशासनिक भवन, मॉडलर अोटी, एक्सरे रूम, सिटी स्कैन रूम में भारी बारिश के कारण पानी घुस गया था. अखबारों में प्रकाशित समाचार के आधार पर उच्च न्यायालय ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया था अौर जिला प्रशासन से जवाब मांगा था. हाइकोर्ट से जवाब मांगे जाने पर उपायुक्त अमित कुमार के निर्देश पर गठित एडीएम (विधि व्यवस्था) बिंदेश्वरी तातमा, सिविल सर्जन डॉ एसके झा, एमजीएम अस्पताल अधीक्षक डॉ विजय शंकर दास, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एएन मिश्रा, जमशेदपुर अक्षेस के विशेष पदाधिकारी दीपक सहाय,भवन निर्माण के कार्यपालक अभियंता ने सोमवार को एमजीएम अस्पताल जाकर जांच की थी. जांच टीम ने उपायुक्त को सौंपी जांच रिपोर्ट में एमजीएम अस्पताल के अंदर अौर बाहर के ड्रेनेज सिस्टम को ध्वस्त, नाली जाम तथा भवन निर्माण के बिखरे हुए सामान के कारण जल जमाव होना बताया था. साथ ही बाथरूम एवं शौचालय की पाइप टूटी रहने के कारण कमरे में पानी का रिसाव होने की बात कही थी. जांच रिपोर्ट के आधार पर उपायुक्त की अोर से जवाब भेजा गया था.

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