जिसके तहत माइनिंग लीज और एक्सप्रेस ऑर्डर के माध्यम से माइंसों को खोलने का आदेश दिया गया था. राज्य सरकार को इस पर तत्काल कदम उठाने की बाध्यता थी. लेकिन झारखंड सरकार ने इसके ठीक विपरीत अतिरिक्त मुख्य सचिव के माध्यम से खदान के उल्लंघन की जांच शुरू कर दी. वहीं पड़ोसी राज्य ओड़िशा में इसी एक्ट के तहत 31 मार्च 2030 तक कैप्टिव माइंस और नॉन कैप्टिव माइंस को 31 मार्च 2020 तक के लिए खोल दिया गया. इस कारण आधे से ज्यादा उद्योग व निवेश पूरी तरह प्रभावित हो रहे है.
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ओड़िशा में खुल गयी बंद माइंस, झारखंड सरकार ने नहीं की कोई ठोस पहल, फाइलों में उलझी माइंस की जांच
जमशेदपुर: ओड़िशा सरकार की पहल पर राज्य में बंद माइंस खुल गयी है लेकिन झारखंड में माइंस बंद हैं. बंद माइंस को खोलने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गयी है. झारखंड में माइंस की जांच फाइलों में ही उलझ कर रह गयी है. केंद्र सरकार ने इसे लेकर स्पष्ट […]
जमशेदपुर: ओड़िशा सरकार की पहल पर राज्य में बंद माइंस खुल गयी है लेकिन झारखंड में माइंस बंद हैं. बंद माइंस को खोलने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गयी है. झारखंड में माइंस की जांच फाइलों में ही उलझ कर रह गयी है. केंद्र सरकार ने इसे लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश दिया है. जिसमें सरकार को इसके लिए जरूरी कानूनी संशोधन या अध्यादेश निकालना होगा. लेकिन राज्य सरकार इस दिशा में मौन है.
क्या है पूरा मामला : भारत सरकार ने एमएमडीआर एक्ट 1957 को संशोधित करने के बाद एक अध्यादेश लाया था, जो 12 जनवरी 2015 को प्रभावी हुआ. इसके तहत मुख्य रूप से सेक्शन 8 ए (5) 8 ए (6) में बदलाव किया गया था, जिसके तहत जो माइंस बंद हुई थीं, इसको 31 मार्च 2030 तक कैप्टिव माइंस (जो कंपनियों के इस्तेमाल में आते है) और नॉन कैप्टिव माइंस 31 मार्च 2020 तक एक्सटेंशन देने को कहा गया है.
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