जमशेदपुर: झारखंड में भ्रष्टाचार रोकने के लिए आगे आनेवालों के लिए भ्रष्टाचारियों को सजा दिला पाना मुश्किल साबित हो रहा है. हालात का अंदाजा इसी से लग जाता है कि भ्रष्टाचार करते रंगे हाथ पकड़ाये अधिकारी मौज में हैं, लेकिन उनके खिलाफ शिकायत करनेवाले लोग खुद परेशानी में हैं. घूस की जो राशि जांच एजेंसियों ने कार्रवाई के दौरान जब्त की, वह भी शिकायतकर्ताओं को वापस नहीं मिल रही. जो घूस लेते पकड़े गये वे पहले से ऊंचे पदों पर हैं और शिकायत करनेवालों की राशि तो फंसी ही है, संबंधित विभाग में अघोषित रूप से उन्हें ब्लैकलिस्टेड भी कर दिया जाता है.
आठ साल में भी नहीं हुई पकड़े गये अफसर पर कोई कार्रवाई
जमशेदपुर में पदस्थापित तत्कालीन क्षेत्रीय पीएफ कमिश्नर पंकज को सीबीआइ ने घूस लेते रंगे हाथ पकड़ा था. चाकुलिया की डीपी राइस मिल के मालिक राम अवतार रुंगटा से पीएफ नंबर देने के नाम पर 45 हजार रुपये मांगे गये थे. घूस देने के बदले उन्होंने घूस मांगनेवाले पीएफ कमिश्नर को ही पकड़वाने की ठानी. उन्होंने सीबीआइ में केस किया और उनको पकड़वाया.
क्या है स्थिति : आठ साल में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. पंकज दूसरे जिले में पदस्थापित हो गये हैं. सीबीआइ कोर्ट में केस लंबित है. 45 हजार रुपये अब तक नहीं लौटे हैं. कोर्ट से लगातार सम्मन आता है, पेशी के लिए जाना पड़ता है. काम-काज छोड़ कर रांची की दौड़ लगानी पड़ती है.
अफसर की कुर्सी सलामत, बंद हुआ शिकायतकर्ता का बिजनेस
सेंट्रल एक्साइज, जमशेदपुर में पदस्थापित अधीक्षक श्रीकांत चौधरी को सीबीआइ ने 30 हजार रुपये घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. टाटा मोटर्स के कर्मचारी हर्षवर्धन सिंह अपनी पत्नी रिंकी सिंह के नाम पर बनायी कंपनी रघुपति स्टील ट्रेडर्स का एक्साइज नंबर लेने के लिए श्रीकांत चौधरी के पास गये थे. श्री चौधरी ने फाइल फेंकते हुए कहा था कि कि जब तक रुपये नहीं दोगे, रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. उन्होंने सीबीआइ में केस दर्ज कराया, जिसके दूसरे ही दिन उन्हें रंगे हाथ पकड़ लिया गया.
क्या है स्थिति : घूस लेते पकड़ाये श्रीकांत चौधरी फिलहाल आदित्यपुर में पहले से भी ज्यादा मलाईदार पद पर पदस्थापित हैं. केस अब भी कोर्ट में लंबित है. विभाग ने बदले की कार्रवाई करते हुए हर्षवर्धन सिंह की पत्नी के नाम पर खुले फर्म का रजिस्ट्रेशन ही कैंसल कर दिया गया. उनको जो एक्साइज नंबर मिला था, उसे भी बिना किसी पूर्व नोटिस के रद्द कर दिया गया. इन्हें भी रंगे हाथ पकड़वाने के लिए घूस के रूप में दिये गये पैसे वापस नहीं मिले.
पत्ते चुन कर जमा किये गये पैसे फंसे, पकड़ा गया अफसर बाहर
पोटका में पदस्थापित राशनिंग विभाग के मार्केटिंग अफसर (एमओ) शिवेंदु मोहन ने महिला समिति को राशन दुकान आवंटित करने के नाम पर 40 हजार रुपये मांगे थे. महिला समिति की अगुवाई करते हुए पोटका की हेंसलबिल पंचायत निवासी निरूप हांसदा ने इसकी शिकायत निगरानी ब्यूरो (रांची) में की. विभाग की टीम ने छापामारी कर एमओ शिवेंदु मोहन को 40 हजार रुपये घूस लेते रंगे हाथ पकड़ा.
क्या है स्थिति : घटना के करीब दो साल के बाद भी निरूप हांसदा द्वारा घूस के लिए जो40 हजार रुपये दिये गये थे, वह निगरानी विभाग से वापस नहीं मिली. यह पैसा पत्ते चुन कर जीविकोपाजर्न करने वाली महिलाओं के हैं.
जिस अधिकारी को घूस लेते रंगे हाथों पकड़ा गया वह बाहर है और पोस्टिंग के लिए पैरवी की जा रही है. इन महिलाओं को राशन दुकान भी आवंटित नहीं की गयी. केस करने के लिए भी तीन बार रांची की दौड़ लगानी पड़ी थी.
फंस गये 3.7 लाख रुपये, रंगे हाथ पकड़े गये इंजीनियर बाहर
पीएचइडी (पेयजल एवं स्वच्छता विभाग) के अधीक्षण अभियंता शैलेश सिन्हा और कार्यपालक अभियंता विपिन बिहारी सिन्हा को निगरानी विभाग ने घूस लेते रंगे हाथ पकड़ा था. पीएचइडी के ठेकेदार सुनील चौधरी से चापानल के आवंटन के एवज में शैलेश सिन्हा ने 2.7 लाख रुपये, जबकि एक एग्रीमेंट करने के नाम पर एक लाख रुपये घूस में मांगे थे. सुनील चौधरी ने घूस देने के बजाय उन्हें पकड़वाना बेहतर समझा. निगरानी विभाग ने उन्हें रंगे हाथ गिरफ्तार किया.
क्या है स्थिति : दोनों ही पदाधिकारी जेल से बाहर हो चुके हैं और फिलहाल पोस्टिंग के लिए प्रयासरत हैं. विभाग की ओर से काफी दबाव बनाया
शिकायतकर्ता सुनील चौधरी को बाद में विभाग से काम लेने के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. घूस के रूप में दिये गये 2.70 लाख और एक लाख रुपये अब तक वापस नहीं हो पाये हैं.