जमशेदपुर: शहर में वाहनों पर नेम प्लेट लगा कर चलने का फैशन बन गया है. इसकी लत मुखिया से लेकर राजनीतिक दल के नेताओं व कार्यकर्ताओं तक को लग गयी है. सभी वाहनों पर अपने पद नाम का बोर्ड लगा कर खुलेआम मोटर वाहन नियमावली के नियमों की अवहेलना कर रहे हैं. वाहनों पर बोर्ड लगा कर चलना स्टेटस सिंबल बन गया है. इसे रोकने वाला कोई भी नहीं है.
चाहे सत्ताधारी पार्टी हो, या विपक्ष या फिर बिना किसी वजूद वाली पार्टी या फिर छुटभैया कोई भी संस्था, उसके अधिकारी या लोग अपने पद को गाड़ियों में बड़े से बड़ा लगाकर चल रहे हैं. 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने लाल-पीली बत्ती के दुरुपयोग को गंभीरता से लेते हुए सभी राज्य सरकार को निर्देश दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में संवैधानिक पदों पर रहनेवाले व्यक्ति को ही लाल-पीली बत्ती लगाने की अनुमति देने की बात कही है. सभी राज्य सरकारों को लाल-पीली बत्ती लगानेवाले व्यक्तियों की सूची तैयार करने को कहा है. लेकिन हालात नेम प्लेट को लेकर सबसे ज्यादा खराब है. आम आदमी से हर्जाना वसूलने वाली ट्रैफिक पुलिस या डीटीओ ने आज तक इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाया है.
इसके लिए सरकार को तीन माह का समय दिया गया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद कई अधिकारियों ने अपने वाहनों से लाल-पीली बत्ती हटा ली है. इधर, आम लोगों की परेशानी देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने काफिले को हूटर और सायरन नहीं बजाने का निर्देश दिया है. मंत्रियों व अधिकारियों को निर्देश दिया है कि रांची अथवा अन्य शहरों में सायरन व हूटर नहीं बजायें. अनावश्यक गाड़ी हटाये जायें. केंद्रीय मोटरवाहन नियमावली में वाहनों पर लाल-पीली बत्ती और नेम प्लेट लगाने के लिए सिर्फ अति विशिष्ट लोगों को चिह्न्ति की गयी.
कौन लगा सकते हैं नेम प्लेट व बीकन लाइट
राज्यपाल, मुख्यमंत्री, हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, झारखंड विधानसभा अध्यक्ष, सरकार के कैबिनेट मंत्री, विधानसभा में विरोधी दल के नेता, सरकार के राज्य मंत्री, सरकार के उप मंत्री, विधानसभा का उपाध्यक्ष (अगर कोई हो), हाइकोर्ट के न्यायाधीश, सरकार के मंत्री/राज्य मंत्री/उप मंत्री का दर्जा प्राप्त व्यक्ति, लोकायुक्त, झारखंड विधानमंडल के सत्तारुढ़ दल के उप नेता, मान्यता प्राप्त विरोधी दल के मुख्य सचेतक, मुख्य सचिव, महाधिवक्ता, विधानसभा समितियों के सभापति, राज्य निर्वाचन आयुक्त, मंत्रिमंडल सचिवालय एवं समन्वय विभाग नयाचार (स्टेट प्रोटोकाल) शाखा द्वारा राज्य अतिथियों के लिए उपयोग में लायी जानेवाली सभी गाड़ियां. सभी विभागीय आयुक्त/सचिव, प्रमंडलीय आयुक्त, आरक्षी महानिदेशक, आरक्षी महानिरीक्षक, परिवहन आयुक्त, क्षेत्रीय आरक्षी महानिरीक्षक, परिवहन आयुक्त, क्षेत्रीय आरक्षी उप महानिरीक्षक, सभी विभागाध्यक्ष, सभी जिला न्यायाधीश, महालेखाकार (झारखंड), आयकर आयुक्त, रेलवे के प्रमंडलीय प्रबंधक, महा डाकपाल, रक्षा लेखा नियंत्रक, सभी जिला अधिकारी, सभी आरक्षी अधीक्षक.
क्या है आदेश
केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली 1989 की धारा 108 (3) में लाल-पीली बत्ती लगानेवाले की सूची जारी की गयी है. इन्हें गाड़ी के आगे लाल-पीली बत्ती का प्रयोग करने के लिए अधिकृत किया गया है. इन वाहनों पर अति विशिष्ट व्यक्तियों/पदाधिकारियों के पदनाम और उससे नीचे संबंधित सरकार का नाम लिखने की अनुमति दी गयी है.
ऐसे-ऐसे नंबर प्लेट गाड़ियों पर
अध्यक्ष बड़ा लिखा हुआ है, संगठन का नाम छोटा
मंत्री बड़ा लिखा हुआ है, संगठन का नाम छोटा किया गया है, जिससे लगता है कि कोई मंत्री जा रहा है
नंबर प्लेट गायब हो चुका है, जिसमें सिर्फ प्रेस या पुलिस या एडवोकेट लिखा गया है
100 रुपये है हर्जाना
किसी भी वाहन के आगे-पीछे अनाधिकृत नेम प्लेट लगाना गैरकानूनी है. झारखंड मोटर ह्लेकिल एक्ट की धारा 177 के तहत नेम प्लेट उतरवा कर 100 रुपये तक तक हर्जाना लगाया जा सकता है.