जमशेदपुर: सरना धर्मालंबियों ने रविवार को झारखंड की संस्कृति व प्रकृति पूजा का महान पर्व सरहुल उत्सव मनाया. सुबह सरना स्थल पर एकत्रित होकर प्रकृति, वन देवी, इष्ट-देवी-देवताओं की पूजा की. पुराना सीतारामडेरा स्थित सरना स्थल पर पुजारी बुद्धू मिंज, बुद्धू कच्छप एवं संचू किस्पोटा ने पूजा अर्चना की तथा समाज की सुख-समृद्धि व स्वस्थ […]
जमशेदपुर: सरना धर्मालंबियों ने रविवार को झारखंड की संस्कृति व प्रकृति पूजा का महान पर्व सरहुल उत्सव मनाया. सुबह सरना स्थल पर एकत्रित होकर प्रकृति, वन देवी, इष्ट-देवी-देवताओं की पूजा की. पुराना सीतारामडेरा स्थित सरना स्थल पर पुजारी बुद्धू मिंज, बुद्धू कच्छप एवं संचू किस्पोटा ने पूजा अर्चना की तथा समाज की सुख-समृद्धि व स्वस्थ शरीर की कामना की.
इस दौरान समाज के लोगों ने प्रकृति को संरक्षण करने का संकल्प लिया. मौके पर पुराना सीतारामडेरा स्थित सरना स्थल पर मुख्यमंत्री रघुवर दास पहुंचे व पूजा अर्चना में शामिल हुए व मत्था टेका. इस दौरान उन्होंने लोगों को सरहुल उत्सव की बधाई दी और लोगों से आपसी एकता व अखंडता को बनाये रखने की अपील की.
उन्होंने कहा कि प्रकृति बचेगी तभी इस धरती पर मनुष्य का अस्तित्व भी बचेगा. हर समाज व समुदाय के लोगों को प्रकृति को बचाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है. यदि हम अपने समाज व समुदाय को खुशहाल देखने चाहते हैं तो पेड़-पौधे लगायें, प्रकृति को हरा-भरा बनायें.
महिलाओं ने की सरना स्थल पर पूजा
रविवार को आदिवासी समुदाय के अपने-अपने सरना स्थल में पूजा अर्चना की.महिलाएं इष्ट देवी-देवताओं को दूध अर्पित कर परिवार व समाज की सुख-शांति की कामना कीं. शाम में पुराना सीतारामडेरा में पहुंचकर शोभा यात्रा में शामिल हुईं. शोभा यात्रा में महिलाओं ने प्रकृति से प्राप्त सखुआ फूल को अपने जूड़े में लगाया हुआ था. वहीं पुरुषों ने सखुआ के फूल को अपने कानों में सजाया था. आदिवासी समाज में सखुआ फूल को इष्ट देवी-देवताओं के आशीष के रूप में ग्रहण किया जाता है.