एक से दो चापाकल ही सक्रिय रहते हैं. ऐसे में करीब 2100 लोगों को एक-दो चापाकल पर निर्भर रहना पड़ता है. इस कारण लोगों का पूरा दिन पानी का इंतजाम में गुजर जाता है. जल संकट से निपटने के लिए कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं है़ बस्तीवासी लंबे समय से मिनी जलमीनार की मांग कर रहे है़ं
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पुरीहासा : गरमी आते ही सताने लगती है पीने के पानी की चिंता
जमशेदपुर: पुरीहासा पंचायत अंतर्गत पुरीहासा के ग्रामीणों को फरवरी आते ही जलापूर्ति की चिंता सताने लगती है. गरमी आते ही गांव में जलसंकट गहराने लगता है. दरअसल यह गांव पूरी तरह चापाकल पर आश्रित है. यहां का भू गर्भीय जलस्तर 150 से 200 फीट तक है, लेकिन चापाकल अधिक डीप (गहरा) नहीं होने के कारण […]
जमशेदपुर: पुरीहासा पंचायत अंतर्गत पुरीहासा के ग्रामीणों को फरवरी आते ही जलापूर्ति की चिंता सताने लगती है. गरमी आते ही गांव में जलसंकट गहराने लगता है. दरअसल यह गांव पूरी तरह चापाकल पर आश्रित है. यहां का भू गर्भीय जलस्तर 150 से 200 फीट तक है, लेकिन चापाकल अधिक डीप (गहरा) नहीं होने के कारण गरमी में अधिकांश चापाकल फेल हो जाते हैं.
तुरामडीह कॉलोनी से सटी है बस्ती : पुरीहासा गांव से सटी तुरामडीह कॉलोनी में सभी अत्याधुनिक सुविधाएं हैं, यहां के लोगों को पर्याप्त पानी मिलता है. लेकिन पुरीहासा के ग्रामीण गरमी में एक-एक बूंद पानी के लिए तरसते हैं. कंपनी से सीएसआर के तहत कोई मदद नहीं मिलती है़
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