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अब ओलचिकी में एसएमएस

।।दशमत सोरेन।।जमशेदपुरः डिजिटल वर्ल्ड में नवीनतम प्रयोग के तहत आदिवासी लिपि ओल चिकी में एसएमएस संभव बना दिया है. जिससे ओलचिकी भाषा में मैसेज का आनंद ले सकेंगे. इसे संभव बनाया है आइआइटी खड़गपुर, 1989 बैच के बीटेक सिविल इंजीनियर कुंअर हेम्ब्रम ने. इस सॉफ्टवेयर को रविवार 19 मई को पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम में […]

।।दशमत सोरेन।।
जमशेदपुरः डिजिटल वर्ल्ड में नवीनतम प्रयोग के तहत आदिवासी लिपि ओल चिकी में एसएमएस संभव बना दिया है. जिससे ओलचिकी भाषा में मैसेज का आनंद ले सकेंगे.

इसे संभव बनाया है आइआइटी खड़गपुर, 1989 बैच के बीटेक सिविल इंजीनियर कुंअर हेम्ब्रम ने. इस सॉफ्टवेयर को रविवार 19 मई को पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम में लांच किया जा रहा है. बकौल कुंअर यह सुविधा एंड्रोयड मोबाइल पर उपलब्ध होगी. मैसेज लिखने और पढ़ने के सामान्य तरीके से ही यह संभव होगा. कोई खास परिवर्तन इसमें नहीं करना होगा. इस एप्लीकेशन को ओलचिकी जानने वालों के अलावा दूसरे भी जान पायेंगे क्योंकि अंगरेजी में भी इसे पढ़ना संभव होगा.
कठिन रहा सफर त्र23 सितंबर 1962 को पश्चिम मेदनीपुर के सुदूरवर्ती गांव गगनासुली में जन्मे कुंअर हेम्ब्रम कठिन परिस्थितियों से निकल कर यहां तक पहुंचे हैं. कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से आये कुंअर सिर्फ अपनी मातृभाषा संथाली और बंगाली जानते थे. लेकिन अपने शिक्षकों की सहायता से उन्होंने एक के बाद एक बाधा को दूर किया ग्रेजुएशन के बाद उन्हें नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लि. में उन्हें बतौर सहायक इंजीनियर का जॉब मिला. लेकिन पांच साल बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और खुद का कंसल्टेंसी फर्म खोला और सिविल कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े. काम के अलावा कुंअर संथाली भाषा के विकास के लिए भी काम कर रहे हैं.

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