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पीड़ित परिवारों को 1-1 लाख मुआवजा दे सरकार

पीड़ित परिवाराें काे 1-1 लाख मुआवजा दे सरकार – जुगसलाई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चार नवजात की माैत का मामला – एनएचआरसी का बड़ा फैसला, चार सप्ताह में रिपाेर्ट साैंपे सरकार- आयोग ने ऑफिसर इंचार्ज डॉ भारती जॉर्ज मिंज को दोषी बताया थाइनके शिशुओं की हुई थी मौत-गौतम साहू (गाढ़बासा), प्रशांतो महतो (गुड़ाबांधा), शत्रुघ्न महतो […]

पीड़ित परिवाराें काे 1-1 लाख मुआवजा दे सरकार – जुगसलाई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चार नवजात की माैत का मामला – एनएचआरसी का बड़ा फैसला, चार सप्ताह में रिपाेर्ट साैंपे सरकार- आयोग ने ऑफिसर इंचार्ज डॉ भारती जॉर्ज मिंज को दोषी बताया थाइनके शिशुओं की हुई थी मौत-गौतम साहू (गाढ़बासा), प्रशांतो महतो (गुड़ाबांधा), शत्रुघ्न महतो (कुदादा) एक अन्य.उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर जुगसलाई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 14 व 15 दिसंबर 2013 की रात डॉक्टर भारती मिंज की लापरवाही से चार नवजात की माैत मामले में एनएचआरसी (नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन) ने राज्य सरकार काे पीड़ित परिवार काे 1-1 लाख रुपये जल्द मुआवजा देने का निर्देश दिया है. एनएचआरसी के न्यायाधीश डी मुरुगेशन ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव काे राशि भुगतान आैर अन्य कार्रवाई की रिपोर्ट चार सप्ताह में साैंपने को कहा है. एनएचआरसी ने अपने आदेश में कहा है कि जांच टीम ने रिपाेर्ट में साफ उल्लेख किया है कि चंचला देवी, मीरा देवी आैर अन्य दाे परिवाराें के बच्चे जन्म के समय स्वस्थ थे. उस वक्त ड्यूटी पर डॉक्टर भारती मिंज आैर अस्पताल में उपकरण नहीं हाेने के कारण बच्चाें की माैत हाे गयी. इस मामले में संबंधित डॉक्टर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है. 14 अक्तूबर 2014 को सौंपी गयी थी रिपोर्ट आयोग के न्यायाधीश ने आदेश में बताया कि चार नवजात की मौत मामले में सत्येंद्र सिंह ने शिकायत पत्र भेजा. उन्होंने जानकारी दी कि मामले में कार्रवाई की बजाय विभाग लीपापोती की कोशिश कर रहा है. सत्येंद्र सिंह ने स्वतंत्र आयोग के माध्यम से जांच की मांग की थी. आयोग के सख्त रवैया के बाद 14 अक्तूबर 2014 को स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी ने रिपोर्ट सौंपी. डॉ भारती मिंज काे बरखास्त किया जाये इस मामले में दाेषी डॉ भारती मिंज काे बरखास्त करते हुए पीड़ित परिवाराें काे 5-5 लाख रुपये मुआवजा देना चाहिए. उन्हाेंने आवाज उठायी, ताे उन्हें प्रताड़ित किया गया. उनकी आवाज दबाने के लिए वहां तैनात एक डॉक्टर ने काला बिल्ला लगाकर अभियान चलाया. आयाेग के अंतिम फैसले के बाद भी यदि कार्रवाई नहीं हाेगी, ताे वे जनहित याचिका दायर करेंगे. राज्य सरकार के प्रधान सचिव के विद्यासागर इस मामले में दाेषियों काे बचाने के पक्ष में हैं.- सत्येंद्र सिंह, पूर्व सैनिक सह आंदाेलनकारी (नाम से है फाेटाे)

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