इस संकट में मंझोले और छोटे उद्योगों से जुड़े हुए लोग फंस जायेंगे. 23 सितंबर से इसको लेकर अधिसूचना जारी की गयी थी, जिसको एक अप्रैल 2015 से लागू कर दिया गया. इस संकट से हर कोई रू-ब-रू हो रहा है. हालात यह है कि कोल्हान में कारोबार करने वाले लोग पुरुलिया, मयूरभंज समेत आसपास के राज्यों के पास के जिलों में कार्यालय खोलकर अपना कारोबार कर रहे हैं क्योंकि यहां से कारोबार करने में काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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नये प्रावधान का असर: आइटीसी मिलना बंद, कारोबार पर संकट
जमशेदपुर : राज्य सरकार के सेल्स टैक्स विभाग ने इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) को लेकर नया प्रावधान तय कर दिया है. नये प्रावधान के तहत उद्योगों व व्यापारियों को मिलने वाला लाभ नहीं मिल पायेगा, इससे सारे कारोबार दूसरे राज्यों में शिफ्ट होेने की आशंका व्याप्त हो गयी है. इससे राज्य के राजस्व को भी […]
जमशेदपुर : राज्य सरकार के सेल्स टैक्स विभाग ने इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) को लेकर नया प्रावधान तय कर दिया है. नये प्रावधान के तहत उद्योगों व व्यापारियों को मिलने वाला लाभ नहीं मिल पायेगा, इससे सारे कारोबार दूसरे राज्यों में शिफ्ट होेने की आशंका व्याप्त हो गयी है. इससे राज्य के राजस्व को भी नुकसान होने लगेगा क्योंकि जितने भी बड़े डीलर है, वे 14 फीसदी वैट के बजाय सीएसटी के दो फीसदी चुकाकर अपना कारोबार करेंगे.
कारोबारियों के लिए काला कानून
“ कारोबारियों के लिए यह काला कानून है. इससे उद्योगों और उद्यमियों को नुकसान है जबकि पूरा कारोबार चौपट हो जायेगा.
-सुरेश सोंथालिया, अध्यक्ष, सिंहभूम चेंबर ऑफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्रीज
“ यह कानून झारखंड को नुकसान पहुंचाने वाला है. इससे बड़े उद्योगों को घाटा होगा तो छोटे उद्योगों और व्यापारियों को भी नुकसान होगा.
-इंदर अग्रवाल, अध्यक्ष, एसिया
क्या है इनपुट टैक्स क्रेडिट
वैट कानून के तहत कंपनी ने कच्चा माल (किसी तरह का कच्चा माल या बनाने में इस्तेमाल में आने वाली चीजें) को खरीदने के वक्त जो टैक्स दिया था, उससे तैयार माल पर जो टैक्स बनता है, उसको घटाने के बाद कंपनियों को सरकार पैसा लौटा देती है. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि किसी कंपनी ने दो रुपये का माल (उदाहरण स्वरूप) कच्चा माल के तौर पर दूसरी कंपनियों से खरीदा. उस वक्त भी अन्य कंपनियों ने सौ रुपये (उदाहरण स्वरुप) टैक्स का भुगतान किया. इसके बाद उसी कच्चा माल से कंपनी ने अपने प्लांट में गाड़ी तैयार कर बेची तो उस पर भी टैक्स का भुगतान किया, जिस पर 50 रुपये कंपनी ने टैक्स दिया. वैट के प्रावधान के तहत किसी को एक ही प्वाइंट पर टैक्स देना होता है, जो कच्चा माल पर लगे टैक्स से तैयार हुए माल पर लगे टैक्स को घटाना पड़ता है. ऐसे में 100 रुपये के टैक्स को 50 रुपये से घटाया गया तो 50 रुपये ही सरकार की देनदारी निकल गयी, जिसको सरकार लौटाती है, इसको ही आइटीसी कहते हैं.
क्या होगा नुकसान
टाटा स्टील, टाटा मोटर्स समेत कई कंपनियां एंसीलियरी कंपनियों से टैक्स का भुगतान करने के बाद कच्चा माल लेती है, जिसके बाद टाटा स्टील व टाटा मोटर्स आइटीसी के तौर पर फाइनल माल तैयार होने के बाद सरकार से लेती है तो जो अंतर टैक्स का आता था, उसका भुगतान करते थे, लेकिन अब तो उनको पूरे वैट का 14 फीसदी टैक्स देना होगा जबकि पहले यह राशि कम थी.
टाटा स्टील आयरन ओर का इस्तेमाल ही करती है, जिसका सीधा इस्तेमाल स्टील बनाने में किया जाता है, लेकिन अगर कोयला समेत अन्य खनिज संपदा या लॉजिस्टिक पर खर्च होता है, तो उस पर आइटीसी नहीं मिलेगा
टाटा मोटर्स, टाटा स्टील समेत कई बड़ी कंपनियां अगर देखेगी कि यहां आइटीसी ही नहीं मिल रहा है तो दूसरे राज्यों से कारोबार करेगी, जिससे यहां के कारोबारियों को काम देना बंद हो जायेगा, जो घटना शुरू हो गया है
स्पंज आयरन समेत आदित्यपुर क्षेत्र की कई ऐसी कंपनियां हैं, जो आइटीसी लेकर दूसरे से माल खरीदती रही हैं, लेकिन अब वह भी संभव नहीं हो पायेगा
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