जमशेदपुर : टाटा स्टील समूह ने 30 सितंबर, 2015 को समाप्त दूसरी तिमाही से संबंधित समेकित वित्तीय परिणाम की घोषणा की. समूह ने दूसरी तिमाही में 29,305 करोड़ रुपये का समेकित टर्नओवर और 1529 करोड़ रुपये का करोपरांत मुनाफा किया. वहीं 30 सितंबर को समाप्त छमाही के लिए समूह ने 59,605 करोड़ रुपये समेकित टर्नओवर और 2,292 करोड़ रुपये का करोपरांत मुनाफा किया.
स्टील की कमी के बावजूद स्थिति नियंत्रण की कोशिश
दूसरी तिमाही के दौरान टाटा स्टील भारत में घरेलू प्राप्तियों पर दबाव जारी रहा. देश में उत्पादन संबंधित गतिविधियां शिथिल रहने से इस्पात की मांग पर प्रतिकूल असर पड़ा. इसमें पिछली तिमाही की तुलना में 5% की कमी आयी. इसके अलावा अपेक्षाकृत मजबूत मुद्रा की वजह से समस्या बढ़ गयी. भारत में चीन व अन्य एफटीए देशों (जापान व कोरिया) से आयात में दृढ़ता जारी रहा. पिछले वर्ष की इस अवधि में शुद्ध आयात में 100% की वृद्धि देखी गयी.
सितंबर के अंत में सरकार ने टैरिफ बैरियर बढ़ाया, लेकिन इस्पात की कीमत में आयी गिरावट से इसका असर शून्य रहा. अर्थव्यवस्था में मैटेरियल इंटेसिव सेक्टर की कुल मांग में शिथिलता रही.
उम्मीद है कि सरकार की ओर से उठाये गये नीतिगत कदम का असर धीरे-धीरे अगले 2 वर्षों के दौरान देश में इस्पात की घरेलू मांग में दिखेगा.
भारत
2,523 करोड़ रुपये का मुनाफा
विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इस तिमाही में भारतीय ऑपरेशंस (जमशेदपुर) ने उत्पादन और डिलीवरी में मजबूत बढ़ोत्तरी दर्ज की है. डिलीवरी में 9 % की वृद्धि हुई. यह 2.33 मिलियन टन तक पहुंच गयी है, जो कंपनी के मार्केटिंग फ्रेंचाइजी की मजबूती का परिचायक है. इस दौरान कंपनी के जमशेदपुर में ब्लास्ट फर्नेस ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ कोक रेट व पल्वराइज्ड कोल इंजेक्शन (पीसीआई) रेट हासिल किया. इस वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए टैक्स देने के पूर्व के मुनाफा में 14% की वृद्धि हुई. यह 1,963 करोड़ तक पहुंच गया. इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए रिपोर्टेड कर भुगतान के पूर्व का मुनाफा बढ़कर 4,771 करोड़ तक पहुंच गया, जिसमें निवेश की बिक्री से अर्जित 2,808 करोड़ का लाभ भी शामिल है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कर भुगतान के बाद लाभ 2,523 करोड़ रुपये रहा और आय प्रति शेयर 25.53 रुपये था.
विपरीत परिस्थितियों में बेहतर परिणाम : नरेंद्रन
टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर जिंसों की कीमत और मांग में मौसमी कमजोरी के बावजूद, ऑटो सेक्टर की बिक्री में मजबूती और मूल्य विर्धत उत्पादों के ज्यादा अनुपात के बल पर अपनी डिलीवरी को 9 % बढ़ाने में कामयाब रहे. उन्होंने कहा कि अपने ग्राहकों को मूल्य प्रदान करने, अपने ब्रांड और भारत भर में वितरण नेटवर्क के मूल्य में वृद्धि के लिए निवेश करना जारी रखा है. इस वजह और बेहतर परिचालन क्षमता के बल पर हमें आयात में वृद्धि व स्टील की कीमतों में गिरावट जैसी विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करने में मदद मिली है. आयात शुल्क में वृद्धि के जरिये सरकार की ओर से दी गयी मदद का स्वागत करते हैं. वहीं विश्व स्तर पर मांग-आपूर्ति के बिगड़ते समीकरण की वजह से इसका फायदा बेअसर हो सकता है, ऐसी आशंका है. दक्षिण-पूर्व एशियाई ऑपरेशंस पर चीन से बढ़ते आयात का असर पड़ना जारी है. इसके बावजूद, लागत कम करने डाउनस्ट्रीम सेल्स एवं निर्यात को बढाने पर विशेष ध्यान देने से हमें रियलाइजेशन में हो रही कमी की भरपाई करने में मदद मिली है. इससे प्रदर्शन पर सकारात्मक असर पड़ा है. कलिंगानगर में अपने 3 मिलियन टन प्रतिवर्ष ग्रीनफील्ड विस्तार प्रोजेक्ट के मामले में अच्छी प्रगति कर रहे हैं.
कलिंगानगर
उत्पादन हुआ शुरू, लोन घटाने में मिली कामयाबी
ओड़िशा के कलिंगानगर स्टील प्लांट के पहले चरण का प्रोजेक्ट अब पूरा होने को है. कोक ओवेन और हॉट स्ट्रिप मिल में शुरुआती ट्रायल प्रोडक्शन शुरू हो गया है. कंपनी समेकित इस्पात संयंत्र की फुल कमिशिनंग से पहले एक-एक कर विभिन्न सुविधाओं का ट्रायल रन करना जारी रखेगी. 3 मिलियन टन प्रतिवर्ष की क्षमता वाले इस संयंत्र से हाई स्ट्रेंथ ऑटोमोटिव व एपीआइ ग्रेड की बढ़ती मांग को पूरा करने और ज्यादा सहनशक्ति वाले अनूठे ग्रेड विकसित करने की कंपनी की क्षमता में बढ़ोतरी होगी. कंपनी ने तिमाही के दौरान सकल ऋण को 2903 करोड़ रुपये कम किया है. सकल ऋण विदेशी मुद्रा के विनिमय संबंधी 1,213 करोड़ के असर को शामिल करते हुए जून 2015 के आखिर तक 82,380 करोड़ से घटकर 80,903 करोड़ तक पहुंच गया.
माइंस
293 करोड़ रुपये का हुआ घाटा
टाटा स्टील इंडिया के वित्तीय परिणामों में 1,322 करोड़ का प्रावधान/शुल्क भी शामिल है. इसमें राज्य सरकार की ओर से की गयी 880 करोड़ की मांग/दावे, भारतीय ऑपरेशंस में 800 लोगों के इम्प्लाई सेपरेशन स्कीम (इएसएस) के प्रावधान के लिए 293 करोड़ और प्रस्तावित छत्तीसगढ़ प्रोजेक्ट पर किये गये व्यय व मालदा मैगनीज माइन्स की बंदी की वजह से परिसंपित्तयों को हुई 293 करोड़ की क्षति भी शामिल है.